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    पाकिस्तान-उत्तर कोरिया

    संयुक्त राष्ट्र बैठक में आज उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर चर्चा की गयी। इस दौरान भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उत्तर कोरिया की रणनीति की निंदा करते हुए इसे पाकिस्तान के साथ जुड़े होने का खुलासा किया।

    सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र में बताया कि उत्तर कोरिया को परमाणु समृद्ध बनाने में पाकिस्तान का बड़ा हाथ है। पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में यह खुलासा किया था कि पाकिस्तानी परमाणु दल के एक वैज्ञानिक ने उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक बेची थी। इसके बदले उत्तर कोरिया ने पाकिस्तान को लम्बी रेंज की मिसाइल दी थी।

    दरअसल 1980 के दशक में पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच संबंधों की शुरुआत हुई थी। इसके बाद परवेज मुशर्रफ के शासन में दोनों देशों के बीच कई बार हथियारों का लेन-देन हुआ था। 20वी सदी के अंतिम दशक में जब पाकिस्तान में परमाणु हथियार बनाने का काम जोरों पर था, तब उसके उत्तर कोरिया से सम्बन्ध और गहरे बने।

    2003 में पाकिस्तानी वैज्ञानिक खान को पकड़ लिया गया था, जिसके बाद परमाणु तकनीकों की सप्लाई पर रोक लगा दी गयी थी। लेकिन तब तक उत्तर कोरिया को जरूरी मदद मिल चुकी थी। इसके बाद उत्तर कोरिया ने एक दशक के भीतर अपने आप को दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों में शामिल कर लिया।

    इस समझौते में अगर पाकिस्तान के फायदे की ओर नज़र डालें तो पता चलेगा कि इसके बदले पाकिस्तान को डुडोंग मिसाइल मिली थी, जो उस समय चीन ने उस देने से मना कर दिया था। पाकिस्तान ने ये मिसाइल भारत ने निपटने के लिए इक्कठी की थी। इसके अलावा पाकिस्तान उत्तर कोरिया का एक पक्का रक्षा साझेदार बन चुका था।

    इस समझौते में चीन की भी काफी अहम् भूमिका है। दरअसल इस पूरे घटनाक्रम को चीन बारीकी से देख रहा था। पश्चिम में अमेरिका को बढ़ता देख चीन ने पूर्व में अपनी एक मैत्री बनानी शुरू कर दी थी। उत्तर कोरिया के रूप में उसे एक मजबूत साथी मिल चुका था। दरअसल चीन पाकिस्तान के जरिये उत्तर कोरिया को मजबूत कर रहा था। इसी दौरान चीन सामने से अमेरिका का भी समर्थन कर रहा था।

    चीन की सोच थी कि वह पाकिस्तान और उत्तर कोरिया को परमाणु शक्ति बनाकर अपने आप को सुरक्षित कर लेगा। चीन की यह सोच काफी हद तक सफल रही लेकिन अब उत्तर कोरिया इतना शक्तिशाली हो गया है कि चीन को भी उससे खतरा बन गया है।

    इन सबके पीछे पाकिस्तान को इससे बड़ा फायदा हुआ है। पहला उसे भारत से निपटने के लिए जरूरी हथियारों के साथ साथ एक मजबूत साथी मिला एवं चीन के रूप में एक स्थायी साथी मिल गया। लेकिन इस सबके बावजूद विश्व स्तर पर पाकिस्तान बुरी तरह से गिर गया। पिछले एक साल में विश्व के लगभग सभी देशों ने पाकिस्तान का असल चेहरा देख लिया है और इसपर तंज कसना शुरू कर दिया है।

    मौजूदा संयुक्त राष्ट्र की बैठक में भारत ने अमेरिका को सारे सबूत दे दिए हैं, जो पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए काफी हैं। इसके अलावा चीन का भी इससे पर्दाफास हो सकेगा। भारत ने पाकिस्तान का सीधा नाम ना लेकर उसे उत्तर कोरिया की परमाणु समर्द्धि में भागीदार बताया है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।