ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस इस समय रोहिंग्या मुद्दे पर बात करने के लिए म्यांमार के दौरे पर हैं। इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए पोप फ्रांसिस ने म्यांमार के सेना प्रमुख से बातचीत की। आपको बता दें कि म्यांमार सेना द्वारा हिंसा के बाद करीबन 6 लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिम देश छोड़कर बांग्लादेश समेत अन्य देशों में शरण के लिए चले गए थे।
80 वर्षीय पोप फ्रांसिस पहले ऐसे पोप हैं, जिन्होंने म्यांमार का दौरा किया है। यहाँ पहुँचते ही पोप ने अपना दौरा शुरू होने से पहले ही आर्मी चीफ से मिलने की इच्छा जाहिर की। इसके बाद दोनों ने म्यांमार के यांगून में करीबन 15 मिनट की संछिप्त मुलाकात की।
पोप फ्रांसिस के एक सहयोगी ग्रेग बुर्के ने बताया कि इन 15 मिनट के दौरान दोनों ने इस गंभीर हालात में म्यांमार के अधिकारियों की ‘जिम्मेदारी’ के बारे में बातचीत की।
जाहिर है म्यांमार में सेना प्रमुख का ओहदा काफी ऊँचा होता है। आपको बता दें कि म्यांमार की आजादी के बाद करीबन 50 सालों तक देश में सेना ने राज किया था। इसके बाद म्यांमार में सरकार बनी थी।
हाल ही में रोहिंग्या पर हुई हिंसा के लिए पूरी दुनिया नें म्यांमार की सेना को जिम्मेदार बताया था। ऐसे में पोप ने खुद आर्मी चीफ से मिलकर इस मुद्दे की जानकारी लेना सही समझा।
पोप फ्रांसिस के इस दौरे को पूरी दुनिया रोहिंग्या के लिए अच्छा बता रही है। आशा है कि आंग सान सू की के साथ म्मिलकर पोप इस मुद्दे को सुलझा लेंगे। पोप के म्यांमार पहुंचे पर उनका स्वागत विभिन्न अल्प-संख्यक समुदायों के बच्चों ने किया था।
पोप के इस दौरे पर म्यांमार में रह रहे ईसाई और बोद्ध धर्म के लोग भी उत्साहित हैं। जिस समय पोप एयरपोर्ट से अपने निवास पर जा रहे थे, उस समय रास्ते में ईसाई ननों ने उनका स्वागत किया।
एक ईसाई व्यक्ति ए ए सेन ने बताया, “मैंने पोप को देखा.. मैं बहुत खुश था..मैं रोने लगा था। उनका चेहरा काफी शांत और प्यारा लग रहा है। वे यहाँ शान्ति स्थापित करने आये हैं।”
आपको बता दें कि म्यांमार में करीबन 1 प्रतिशत ईसाई लोग रहते हैं। इनकी कुल संख्या करीबन 7 लाख है। इनमे से करीबन 2 लाख लोग आज पोप को देखने के लिए यांगून में इकटठा हुए थे।
सिस्टर जेनेवी मू ने बताया, “चाहे हम उन्हें थोड़ी देर के लिए ही देखें, लेकिन फिर भी पुरे देश से लोग उन्हें देखने के लिए आये हैं।”
कल पोप फ्रांसिस आंग सान सू की से रोहिंग्या मुद्दे पर बातचीत करेंगे। इसके बाद पोप एक दिन और रोहिंग्या में रुकेंगे, जिसके बाद वे बांग्लादेश के लिए रवाना हो सकते हैं।
हालाँकि पोप के आने से म्यांमार में कुछ लोग खफा भी हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यदि पोप रोहिंग्या के बारे में सार्वजनिक तौर पर बात करते हैं, तो वे देश में बड़ी संख्या में रह रहे बौद्ध समुदाय के लोगों को गुस्सा कर सकते हैं।
ऐसे में यह देखना होगा कि रोहिंग्या मामले में पोप क्या फैसला लेते हैं? पोप की इस यात्रा पर पुरे विश्व की नजर है। रोहिंग्या मुस्लिमों को भी पोप के इस दौरे से काफी उम्मीदें होंगी।