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    बांग्लादेश म्यांमार

    रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षित घर वापसी पर बांग्लादेशम्यांमार सरकार के बीच में गुरूवार को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते में कोई एक समय सीमा निर्दिष्ट नहीं की गई। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि अगले दो महीने के भीतर रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार में घर वापसी शुरू कर सकते है।

    हजारों रोहिंग्या मुसलमानों की घर वापसी को लेकर म्यांमार व बांग्लादेश के बीच में सकारात्मक वार्ता सम्पन्न हुई है। लेकिन एक सरकारी अधिकारी ने चिंता जताते हुए कहा है कि म्यांमार की शक्तिशाली सेना इस काम में प्रतिरोधी साबित हो सकती है।

    रखाइन राज्य से विस्थापित किए गए रोहिंग्या मुसलमानों की घर वापसी को लेकर एक समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। लेकिन संभावना है कि आगामी दो महीने के भीतर रोहिंग्या घर वापसी शुरू कर सकते है। दोनों पक्ष फिर से प्रत्यावर्तित प्रक्रिया शुरू करने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह बनाने पर सहमत हुए है।

    रोहिंग्या वापसी के प्रारंभिक समझौते पर हुए हस्ताक्षर

    म्यांमार सरकार द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों की घर पर सुरक्षित वापसी को लेकर प्रारंभिक समझौता करना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके दबाव को कम कर रहा है।

    यह हस्ताक्षर म्यांमार की नेता आंग सान सू की और बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुल हसन महमूद अली के बीच मुलाकात के बाद हुआ। इस दौरान यह तय किया कि अगले तीन सप्ताह के भीतर एक कार्यसमूह का गठन किया जाएगा। जो कि रोहिंग्या की घर वापसी को लेकर काम करेगा।

    रोहिंग्या की वापसी में एक फॉर्म तैयार किया जाएगा। जिसमें वापसी करने वाले रोहिंग्या का नाम व परिवार की जानकारी, म्यांमार में उनका पिछला पता, जन्म तिथी लिखी जाएगी। इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण उनसे लिखवाया जाएगा कि वे स्वेच्छा से म्यांमार में वापसी कर रहे है।

    गौरतलब है कि म्यांमार सरकार ने रोहिंग्या पर अत्याचार व हिंसा की। जिस वजह से करीब 6 लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था।

    बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रहने वाले हजारों बच्चे कुपोषण के शिकार है। साथ ही छोटे बच्चों खासकर बच्चियों के साथ बाल व यौन शोषण की जानकारी भी सामने आ रही है।