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    रेडियो तरंग radio waves in hindi

    विषय-सूचि

    रेडियो तरंगें क्या है? (what is radio waves in hindi)

    रेडियो तरंगें विद्युत चुम्बकीय तरंगे है, जिनकी फ्रीक्वेंसी 10 cm से 100 km के बीच होती है। ये मानवनिर्मित भी होती है और प्राकृतिक भी।

    रेडियो तरंगो की खोज (discovery of radio waves in hindi)

    रेडियो तरंग एक प्रकार का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरण है, इसके बारे में अनुमान पहली बार 1867 में जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने गणितीय गणना के दौरान लगाया था। मैक्सवेल ने उस दौरान प्रकाश की वेवलेंथ जैसे गुणों को देखा और इस आधार पर वह समीकरण दिया जिसके सहारे प्रकाश तरंगो और रेडियो तरंगों की व्यख्या की गई।

    इसके बाद 1887 में हेनरिक हर्ट्ज ने मैक्सवेल के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियो तरंगों का प्रयोग अपनी प्रयोगशाला में किया। और फिर कई सारे प्रयोगो के बाद इसकी पुष्टि की गई।

    इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग की फ्रीक्वेंसी की इकाई- एक चक्र प्रति सेकंड को उनके सम्मान में हर्ट्ज नाम दिया जाता है।

    रेडियो तरंग बनने की प्रक्रिया (formation of radio waves in hindi)

    रेडियो वेव्स विद्युत धारा को रेडियो आवृति पर प्रत्यावर्तन करने पर बनती है। यह धारा एक विशिष्ट चालक जिसे ऐन्टेना कहते हैं से पास कराई जाती है। अत्यधिक लम्बी तरंगे प्रायोगिक नही होती क्योंकि उतना लम्बे एंटीना संभव ही नही होता। रेडियो तरंगे अंतरिक्षीय प्रक्रिया से भी बनती है, परंतु वे सुदूर गहन अंतरिक्ष में ही बनती हैं।

    रेडियो तरंग फोटोन से बने होते हैं। फोटोन भी इंफ्रारेड, विसुअल लाइट(प्रकाश), अल्ट्रावायलेट, X-ray, गामा किरण आदि है।

    फोटोन, प्रकाश की गति(वैक्यूम,प्रकाश) की गति से आगे बढ़ते हैं और इसलिए रेडियो तरंगे प्रकाश की गति से आगे बढ़ती हैं। लगभग 300 मिलियन मीटर प्रति सेकंड  या लगभग 186,000 मील प्रति सेकंड।

    नामकरण की गई कुछ फ्रीक्वेंसी (few frequencies of radio waves in hindi)

    दीर्घ तरंग एएम रेडियो:- 148.5-283.5kHz(LF)

    मध्यम तरंग एएम रेडियो:- 530kHz-1710kHz(MF)

    दूरदर्शन बैंड 1(चैनल 2-6):- 54MHz-88MHz(VHF)

    FM रेडियो बैंड 2:- 88MHz-108MHz(VHF)

    दूरदर्शन बैंड 3(चैनल 7-13):- 174MHz-216MHz(VHF)

    दूरदर्शन बैंड 4 और 5(चैनल 14-69):- 470MHz-806MHz(UHF)

    रेडियो वेव्स संचार सिग्नल हवा के माध्यम से सीधे सीधे रेखा में यात्रा करते हैं, जो ionosphere के बादलों या परतों से प्रतिबिम्बित होते हैं या अंतरिक्ष द्वारा रिले किये जाते हैं।

    नासा के अनुसार, लगभग 1 किलोमीटर(0.04 इंच) से 100 km(62 मील) तक के बीच, रेडियो तरंगों में एलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम में सबसे लंबी वेवलेंथ होती है। उनके पास लगभग 300,000 हेक्टेज़ या 300 गीगाहर्ट्ज(KHz) से सबसे कम फ्रीक्वेंसी भी होती है।

    एलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम और रेडियो स्पेक्ट्रम (electromagnetic spectrum and radio spectrum)

    विद्युत चुम्बकीय तरंगो की एक विशाल श्रृंखला होती है जिसमे यह देखा जा सकता है कि रेडियो सिग्नल की सबसे कम फ्रीक्वेंसी होती है, इसलिए सबसे लंबी वेवलेंथ इसी की होती है। रेडियो स्पेक्ट्रम के ऊपर, विकिरण के अन्य रूप पाए जा सकते हैं। जिनमे infra red, विकिरण, प्रकाश(visible light), पराबैंगनी(ultraviolet) और कई अन्य रूप शामिल हैं।

    रेडियो स्पेक्ट्रम के भीतर भी फ्रीक्वेंसी की विशाल श्रृंखला होती है। विभिन्न क्षेत्रों को वर्गीकृत करने और स्पेक्ट्रम को अधिक प्रबंधनीय आकार से विभाजित करने के लिए, स्पेक्ट्रम को अलग अलग सेगमेंट में divide किया जाता है। राष्ट्रीय दूरसंचार और सूचना प्रसारण द्वारा विभाजित किये गए बैंड निम्नलिखित है:

    बैंड और आवृति सीमा (frequency limit of radio waves in hindi)

    बेहद कम आवृति(ELF) – < 3 kHz

    बहुत कम फ्रीक्वेंसी(VLF) – 3 से 30 kHz

    कम फ्रीक्वेंसी(LF) – 30 से 300 kHz

    मध्यम फ्रीक्वेंसी(MF) – 300kHz से 3 megahertz

    उच्च फ्रीक्वेंसी(HF) – 3 से 30 megahertz

    बहुत उच्च फ्रीक्वेंसी(VHF) – 30 से 300 megahertz

    अल्ट्रा हाई फ्रीक्वेंसी(UHF) – 300 megahertz से 3 gigahertz

    अत्यधिक उच्च फ्रीक्वेंसी(EHF) – 30 से 300 gigahertz

    स्टेनफोर्ड VLF group के अनुसार पृथ्वी पर ELF/VLF का सबसे शक्तिशाली प्राकृतिक स्त्रोत बिजली है।

    वैक्यूम में एक रेडियो तरंग द्वारा 1 सेकंड में 299,792,458 metres(983,571,056 ft) तक का distance कवर किया जाता है। जो कि 1 हर्ट्ज रेडियो सिग्नल की वेवलेंथ के बराबर है, और

    1 megahertz रेडियो सिग्नल= 299.8metres(984)ft of वेवलेंथ

    रेडियो प्रोपेगेशन की तकनीक (radio propagation in hindi)

    कोई भी रेडियो सिस्टम संचार के लिए अधिकतर रेडियो प्रोपेगेशन की 3 विभिन्न तकनीक अपनाता है-

    1. Line of sight- रेडियो तरंगे को transmitting antenna से recieving antenna तक सीधा सफर/ straight line में तय करती है। जैसे- सेल्फोन्स, एफएम, टेलीविज़न ब्राडकास्टिंग और radar.
    2. Ground waves- 2 MHz से कम फ्रीक्वेंसी वाली। इसका प्रयोग मिलिट्री द्वारा और submarines में किया जाता है।
    3. Sky waves- 20वी सेंचुरी की शुरुवात में इसका प्रयोग देखा जा सकता है । रेडियो amateurs, shortwaves ब्रॉडकास्टिंग stations द्वारा विदेशो में ब्रॉडकास्ट के लिए।

    रेडियो वेव्स के उपयोग (uses of radio waves in hindi)

    आज इन रेडियो तरंगों का इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है।

    1. रेडियो एएम और एफएम स्टेशन यानी सूचना प्रसारण के क्षेत्र में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    2. रेडियो फ्रीक्वेंसी ऊर्जा का इस्तेमाल चिकित्सकीय इलाज के लिए भी किया जाता है, पिछले 78 वर्षों से इसका इस्तेमाल इस क्षेत्र में हो रहा है। यह विशेष प्रकार की सर्जरी, शरीर मे किसी द्रव का जमा हो जाने और अनिद्रा जैसी बीमारियों के इलाज में प्रयुक्त होती है।
    3. मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग यानी MRI के लिए भी रेडियो तरंगों का इस्तेमाल होता है, इसके जरिये पूरे मानव शरीर की इमेज बन जाती है।
    4. रेडी तरंगो का सबसे प्रसिद्ध उपयोग संचार के लिए है, टेलीविज़न, सेलफोन और रेडियो सभी को रेडियो तरंगे मिलती है और उन्हें ध्वनि तरंगे बनाने के लिए स्पीकर में यांत्रिक कामों में परिवर्तित किया जाता है।

    रेडियो वेव्स की ऍप्लिकेशन्स (applications of radio waves in hindi)

    1. रेडियो।
    2. वायरलेस कम्युनिकेशन।
    3. फॉर्मिंग फोटोग्राफ (जिसे सिंथेटिक apperture radar भी कहते हैं)।
    4. दूर-दराज जगहों का तापमान नापने के लिए ( प्लांक स्पेक्ट्रल थ्योरी के द्वारा)।

    इस विषय से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

    3 thoughts on “रेडियो तरंगे क्या हैं?: खोज, परिभाषा, कार्य”
    1. Ghar mein kis jagah se Radio frequency rays jada aa rahi hai iska kaise pata lagaya jata hai?
      Pls reply.

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