जहाँ पश्चिमी नेताओं को डर है कि रूस यूक्रेन पर एक बड़े आक्रमण की योजना बना रहा है, वहीं इस आग को शांत करने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने बड़ा जोखिम भरा कदम उठाते हुए मास्को जाने का फैसला किया। वे सोमवार को रुसी पष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने मास्को पहुंचे। इस जोखिम भरे राजनयिक कदम को उठाने के पीछे उनका मकसद है यूक्रेन के साथ रूस के तनाव को कम करना जिस के लिए वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से प्रतिबद्धताओं की मांग भी करेंगे।
मैक्रोन पिछले एक सप्ताह से पश्चिमी सहयोगियों, पुतिन और यूक्रेन के नेता के साथ बड़ी श्रंखला में फोन कॉल पर बातचीत जारी रखे हुए हैं। वह मंगलवार को कीव (Kyiv) पहुंचेंगे।अगर वें इस यात्रा से खाली हाथ लौटते हैं तो यह शर्मनाक साबित हो सकता है।
मैक्रोनके एक करीबी सूत्र ने रॉयटर्स को बताया, “हम पुतिन की मांद में जा रहे हैं, कई मायनों में यह पासा फेंकना है।” रूस ने यूक्रेन के पास करीब 100,000 सैनिकों को इकट्ठा किया है और नाटो और अमेरिकी सुरक्षा गारंटी की मांग की है, जिसमें नाटो कभी भी यूक्रेन को सदस्य के रूप में स्वीकार नहीं करता है।
मैक्रोन के करीबी दो सूत्रों ने कहा कि उनकी यात्रा का एक उद्देश्य समय खरीदना और कई महीनों तक स्थिति को स्थिर रखना हैं। उनका मकसद हैं कि ऐसे स्तिथि कम से कम यूरोप में चुनावों के “सुपर अप्रैल” तक बानी रहे- हंगरी, स्लोवेनिया और, महत्वपूर्ण रूप से फ्रांस में मैक्रोन के लिए।यूक्रेन की सीमा के पास हज़ारों रूसी सैनिकों ने अपना डेरा जमाया हुआ हैं।यह संकट करीब दिसंबर में शुरू हुआ था और तब से अब तक पुतिन से मिलने वाले पहले शीर्ष पश्चिमी नेता होंगे।
वहीं हालातों पर काबू पाने के लिए जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ सोमवार को वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से भी मुलाकात करेंगे| इसकी वजह यह है कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से, पश्चिमी नेता रूस के साथ अपने सबसे बड़े प्रदर्शन में एकजुट मोर्चा बनाए रखना चाहते हैं।अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि रूस ने यूक्रेन के साथ सीमा के पास 110,000 सैनिकों तैनात कर रखे हैं और फरवरी के मध्य तक पूर्ण पैमाने पर रूस यूक्रेन पर हमला करने के लिए लगभग 150,000 सैनिकों को इकट्ठा कर लेगा। वाशिंगटन में अधिकारियों ने इस सप्ताह के अंत में खुफिया आकलन का हवाला देते हुए कहा कि रूस ने आक्रमण की तैयारी और तेज कर दी है।
गौरतलब है कि रूस पश्चमी देशों के सामने अपने मंशा यही जताता है कि उसकी यूक्रेन पर हमला करने की कोई योजना नहीं है। पर वहीं रूस पश्चिमी देशों के सामने अपनी मांग रखे बैठा कि यूक्रेन को नाटो (NATO) में जगह नहीं दी जाये। शान्ति वार्ता पर जाने से पहले पेरिस से अपने विमान में संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए मैक्रॉन ने कहा कि इस यात्रा पर जाने के लिए वें उचित आशावादी है। मैक्रॉन इस यात्रा पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ वार्ता के लिए मंगलवार को कीव (Kyiv) भी जायेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें “अल्पावधि” में संकट के समाधान की उम्मीद नहीं है, लेकिन वह रूस की सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेने के लिए तैयार हैं।
वर्तमान में फ्रांस यूरोपीय संघ का प्रमुख है। मैक्रॉन अप्रैल में फ्रांस में फिर से चुनाव की चुनौती का सामना करेंगे इसीलिए यह एक कारण हो सकता है कि मैक्रॉन ने रूस के साथ बातचीत में खुद को यूरोपीय संघ के प्रमुख व्यक्ति के रूप में स्थान देने की कोशिश की है।यह एक प्रमुख कारण हो सकता है जिसकी वजह से पिछले एक हफ्ते में उन्होंने कई बार पुतिन से फोन पर बात की है और रविवार को बाइडेन के साथ 40 मिनट तक फोन पर वार्ता की।
जर्मन चांसलर, स्कोल्ज़ अब वाशिंगटन में हैं, उनकी विदेश मंत्री, एनालेना बारबॉक, दो दिवसीय यात्रा के लिए अपने चेक, स्लोवाक और ऑस्ट्रियाई समकक्षों के साथ कीव (Kyiv) में होंगी।स्कोल्ज़ अगले सप्ताह पुतिन और ज़ेलेंस्की के साथ बातचीत के लिए मॉस्को और कीव में होंगे। इस सप्ताह के अंत में ब्रिटिश विदेश और रक्षा सचिवों द्वारा मास्को की यात्रा की भी उम्मीद है।
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