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    डॉलर बनाम भारतीय रुपया

    रुपये की बढ़ती कीमतों ने पिछले कुछ महीनों में हर दिशा से परेशानियाँ खड़ी कर दी थी, लेकिन अब रुपये की कीमत में कुछ सुधार होता दिख रहा है।

    ज्ञात हो कि पिछले कुछ दिनों में रुपये ने अपने इतिहास के सबसे निम्नतम स्तर को छुआ है। पिछले दिनों रुपया डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निम्नतम स्तर 72.98 रुपये प्रति डॉलर तक पहुँच गया था।

    पिछले कई दिनों से रुपये की गिरती कीमत का असर हर जगह देखने को मिला, लेकिन रुपये की मार से अगर कोई क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ तो वो था पेट्रोलियम।

    रुपये की गिरती कीमत की वजह से पेट्रोल के दामों ने आसमान छुआ। राजधानी दिल्ली में पेट्रोल के दाम 82.22 रूपए प्रति लीटर व मुंबई में पेट्रोल के दाम 89.60 रूपए तक पहुंच गए।

    पेट्रोल के दामों में हुई ये बढ़ोतरी अब तक की सर्वाधिक है। ज्ञात हो कि पेट्रोलियम ट्रेड डॉलर में ही किया जाता है, जिस वजह से पेट्रोलियम के दामों में रोक लगाना असंभव सा हो गया था।

    रूपए में तेज़ी तब देखने को मिली जब अंतर्राष्टीय बाज़ार को ये अंदेशा हुआ कि सरकार इसमें हस्तक्षेप कर सकती है। हालाँकि विशेषज्ञों की माने तो रूपए में अभी भी गिरावट देखने को मिल सकती है।

    विशेषज्ञों को इस बात की उम्मीद है कि 2013 की तरह ही RBI अप्रवासी भारतियों से दोबारा मदद ले सकती है। तब भारत ने FCNR(B) स्कीम के तहत अप्रवासी भारतियों से विदेशी मुद्रा लोन के तहत ली थी, जो कि उन्हें बाद में ब्याज़ सहित चुकाई जाती है।

    रूपए का लगातार घटता मूल्य बाज़ार में अनिश्चितता का माहौल पैदा कर सकता है, जिस वजह से सरकार रूपए की कीमत पर बराबर नज़र बनाये हुए है।

    फिर भी देखना ये होगा कि तेज़ी से कमजोर होते रुपये को कब तक काबू में लाया जाता है। रूपए का घटता मूल्य सभी क्षेत्रों को एक सामान रूप से प्रभावित करता है।

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