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    मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी

    मंगलवार को टेलिकॉम डिपार्टमेंट (DoT) ने रिलायंस कम्युनिकेशन एवम रिलायंस जिओ इन्फोकोम को बताया की ये इनके बीच होने वाले स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग के सौदे को मंजूरी नहीं दे सकती है क्योंकि यह उनके दिशानिर्देशों के अंतर्गत नहीं है।

    नामंजूरी का क्या है कारण ?

    यह फैसला टेलीकम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट ने जिओ द्वारा लिखा गया लैटर मिलने के बाद लिया जिसमे लिखा गया था की रिलायंस की पहले की एयरवेव्स पर बकाया राशि के लिए ज़िम्मेदार नहीं होगा। यह सरकार के स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग मापदंडों  के अनुसार नहीं है, ओ निर्धारित करता है की खरीदार ही विक्रेता की बकाया राशि के लिए ज़िम्मेदार होगा।

    DoT के अधिकारियों का इस सौदे पर बयान :

    जब इस सौदे की नामंजूरी के बारे में टेलीकम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारीयों से पुचा गया तो उन्होंने कहा की “ट्रेडिंग के मापदंडों के अनुसार हम खरीददार या विक्रेता में से किसी से भी बकाया राशि भरने को कह सकते हैं लेकिन जिओ ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है तो यह मापदंडों के खिलाफ है एवं हम इस डील को मंजूरी नहीं दे सकते हैं।”

    उन्होंने यह भी कहा “अब इसके बारे में जिओ को फैसला लेना है एवं हमें सुचना देनी है। तब तक हम इस सौदे को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं।”

    इस सौदे के खारिज होने का कंपनियों पर असर :

    शेयर में गिरावट :

    मंगलवार को इस सौदे के खारिज होने की वजह से बुधवार को शुरूआती कारोबार में रिलायंस कम्युनिकेशन के शेयर में 12 फीसदी की गिरावट दर्ज कि गयी है। इससे अनिल अंबानी की कंपनी को एक बड़ा झटका लगा है।

    एरिक्सन की डील की नाकामयाबी :

    इसी के साथ इस नामंजूरी कि वजह से रिलायंस कम्युनिकेशन एरिक्सन के साथ जो सौदा करने जा रहा था उसे भी नाकामयाबी मिलेगी। इस सौदे से वह स्वीडिश टेलिकॉम कम्पनी को 550 करोड़ भुगतान करने थे लेकिन अब नामंजूरी के चलते यह संभव नहीं है।

    By विकास सिंह

    विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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