पिछले साल 8 नवंबर को पीएम मोदी ने नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 और 1000 रूपए के नोटों को अमान्य करार दे दिया था। नोटबंदी के दौरान देश की जनता को कुछ दिनों तक कैश की किल्लतों का भारी सामना करना पड़ना था। विपक्षी पार्टियों सहित देश के पूर्व प्रधानमंत्री और शीर्ष अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को संगठित लूट तक की संज्ञा दे डाली।
लेकिन जनता ने कैश किल्लत की समस्याओं से जूझते हुए भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर कैशलेस सिस्टम को स्वीकार करना शुरू कर दिया। इस सिलसिले में आरबीआई यानि भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने एक स्टडी में दावा किया है कि, नोटबंदी के बाद से लोगों ने नकदी भुगतान में कमी कर दी है। अब लोग डिजिटिल पेमेंट के साथ क्रेडिट कार्ड, चेक आदि के जरिए ज्यादा लेनदेन कर रहे हैं।
अपने साप्ताहिक परिशिष्ट मिंट स्ट्रीट मेमोज में आरबीआई ने कहा कि नोटबंदी के चलते भुगतान और निपटान प्रणीली में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिला है। रिजर्व बैंक के सांख्यिकी एवं सूचना प्रबंधन विभाग के शशांक शेखर मैती के निर्देशन में यह उपरोक्त अध्ययन किया गया।
शशांक शेखर मैती के अनुसार अब लोगों ने नकदी भुगतान की जगह पीओएस र्टिमनल पर कार्ड इस्तेमाल, चेक के इस्तेमाल तथा डिजिटल पेमेंट पर जोर देना शुरू कर दिया है। रिजर्व बैंक की इस स्टडी में यह बात खुलकर सामने आई है कि नोटबंदी से पहले लोगों ने चेक का कम इस्तेमाल किया था, वहीं नोटबंदी के बाद के महीनों में चेक के इस्तेमल में सकारात्मक वृद्धि देखी गई।
डिजिटल ट्रांजैक्शन का चलन
पिछले साल दिसंबर में डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या 100 करोड़ थी, यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। वहीं इस साल सितंबर महीने में डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या 87.7 करोड़ रही है। मार्केट में पर्याप्त नोटों के आने के बाद भी डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या का 87.7 करोड़ पर टिके रहना भारत जैसे देश के लिए एक मिसाल है।
एक्सिस बैंक के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर राजीव आनंद का कहना है कि वर्तमान में डिजिटल ट्रांजैक्शन की औसत संख्या 180-190 है। उन्होंने कहा कि नॉर्मल तरीके से डिजिटल ट्रांजैक्शन को 80 से 90 फीसदी तक बढ़ने में तीन साल लग जाते। ऐसे में इतना तो तय है कि नोटंबदी के चलते देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन का चलन तेजी से बढ़ा है।
डेबिट-क्रेडिट कार्ड से भुगतान का स्तर
सितंबर 2017 में डेबिट-क्रेडिट से रिकॉर्डतोड़ 74,090 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान किया गया। सरकार की ओर से देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के चलते कार्डों के जरिए भुगतान में काफी इजाफा देखने का मिल रहा है। जबकि साल 2016 के सितंबर महीने में यही भुगतान मात्र 40,130 करोड़ रुपए था।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए यूरोपीय भुगतान समाधान प्रदाता वर्ल्डलाइन ने कहा कि सभी पीओएस पर सितंबर महीने में लेनदेन का स्तर 86 फीसदी बढ़कर 37.8 करोड़ पर पहुंच गया, जबकि साल 2016 में यही आंकड़ा इसी महीने में 20.3 करोड़ रूपए था।
कैश पेमेंट और नोटबंदी
वर्ल्डलाइन के मुख्य कार्यकारी दीपक चंदनानी के मुताबिक नोटबंदी के बाद से लोगों ने दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने उत्पादों की खरीददारी भी डिजिटल तरीके से कर रहे हैं। हांलाकि सिस्टम में नकदी की मात्रा पर्याप्त रूप से आ चुकी है, बावजूद इसके लोग डिजिटल ट्रांजेक्शन पर ही जोर दे रहे हैं।