राहुल गांधी विधानसभा चुनाव के प्रचार प्रसार हेतु गुजरात दौरे पर है। वो यहां मोदी पर एक के बाद एक शब्दरूपी अस्त्र और शस्त्र का प्रयोग कर रहे है। अपने बयानों में राहुल हर मुद्दे पर बीजेपी को घेर रहे है। वो जहां नोटबंदी, जीएसटी, कालाधन आदि कई मुद्दों पर बीजेपी को चुनावी कटघरे में खड़ा कर रहे है तो वहीं महिलाओं की सुरक्षा, पिछड़े, अति पिछड़े समुदायों तथा गरीबों और किसानों के मुद्दों को उछालकर बीजेपी पर निशाना साध रहे है।
उनके बयानों में मोदी हमेशा केंद्र में होते है। राहुल गांधी ने आज गुजरात दौरे में पोरबंदर की रैली को संबोधित करते हुए कहा कि गुजरात के दो बेटों महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने अंग्रेजों को भगाया था, यहां पर लुटेरों के लिए कोई जगह नहीं है। राज्य में गरीबों के शोषण का आरोप लगाते हुए उन्होने कहा कि गुजरात सिर्फ 5-10 कारोबारियों का नहीं है। उन्होने कहा कि यह किसानों, मजदूरों और छोटे कारोबारियों का भी है।
बीजेपी के शासन काल में कोई चीज़ अगर सबसे ज्यादा विवादों में रही है तो वो है नोटबंदी और राहुल इस विवाद को हवा देकर चुनावी लाभ लेना जानते है इसलिए उन्होने आज केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नोटबंदी के समय जब आप लाइन में लगते थे तो क्या किसी सूट-बूटवाले को देखा था? मैं बताता हूं क्यों नहीं देखा था क्योंकि वो पहले से ही बैंक के अंदर एसी में बैठे थे।
राहुल गाँधी गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर बहुत सक्रिय नजर आ रहे है। वह लगातार गुजरात में पार्टी के लिए प्रचार प्रसार कर रहे है तथा बीजेपी पर निशाना साधने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे है। गुजरात में नवसृजन यात्रा के चारों दौरों की यात्रा को पूरा करने के बाद एक बार फिर चुनावी मैदान में उतर गए है।
इस चुनाव में दलितों तबका अति महत्वपूर्ण है, यह बात राहुल जानते है। यहीं कारण है कि दलितों को रिझाने के लिए वो शक्ति केंद्र का दौरा करने जा रहे है। ऐसी खबर है कि राहुल यहां राष्ट्रीय ध्वज को भी स्वीकार करेंगे। माना जा रहा है कि राहुल अपनी यात्रा में जातिप्रथा को देश से खत्म करने और देश में एकता और अखंडता का संचार करने की शपथ लेंगे।
अपने कार्यक्रम में जिस ध्वज को राहुल भारत के नागरिकों की तरफ से स्वीकार करेंगे, वह शक्ति केंद्र द्वारा जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज होगा। यह ध्वज 125 फुट चौड़ा और 83.3 फुट ऊंचा होगा।
वैसे तो यह ध्वज गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को सौंपा जाना था, लेकिन रुपाणी ने यह ध्वज लेने से इंकार कर दिया था। विजय रुपाणी ने यह कहकर ध्वज लेने से इंकार कर दिया था कि उनके पास फ़िलहाल इतने विशाल ध्वज को रखने के लिए कोई पर्याप्त स्थान नहीं है।
ऐसे में दलित वोट बैंक की उपयोगिता समझते हुए राहुल ने बिना देर किए इस मौके को चुनावी हथियार बना लिया। जिग्नेश मेवाणी का समर्थन हासिल करने के बाद राहुल गांधी अब यहां शक्ति केंद्र से हुंकार भरने की तैयारी में है। उनके इस कदम से माना जा रहा है कांग्रेस को दलितों का साथ मिलना और आसान हो जाएगा।