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    राहुल गाँधी

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक बार फिर गुजरात में हैं। नवरात्रि के दौरान सौराष्ट्र का दौरा करने वाले कांग्रेस उपाध्यक्ष आज मध्य गुजरात के तीन दिवसीय दौरे पर अहमदाबाद पहुँचे। भाजपा का गढ़ माने जाने वाले अहमदाबाद-बड़ोदरा क्षेत्र में अपने चुनावी अभियान के दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेलते नजर आएँगे। बता दें कि अपने सौराष्ट्र दौरे के दौरान राहुल गाँधी ने जगह-जगह मंदिरों में जाकर पूजा-पाठ किया था और अपने सम्बोधनों के दौरान भी माथे पर त्रिपुण्ड-तिलक लगाए नजर आए थे। राहुल गाँधी अपने दौरे के दौरान मध्य गुजरात के पाटीदार, दलित और आदिवासी समाज के वोटरों को साधेंगे। मध्य गुजरात की शहरी आबादी में भाजपा की अच्छी पकड़ है। ऐसे में कांग्रेस ग्रामीण आबादी को लुभाकर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।

    सूबे का सियासी भविष्य तय करता है मध्य गुजरात

    गुजरात की सत्ता तक पहुँचने की सीढ़ी का पहला और सबसे अहम पायदान है मध्य गुजरात। गुजरात विधानसभा की कुल 182 सीटों में 63 सीटें मध्य गुजरात से आती हैं। मध्य गुजरात का अहमदाबाद-बड़ोदरा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। गुजरात में भाजपा के 2 दशकों से सत्तासीन रहने का मुख्य कारण मध्य गुजरात में उसकी बादशाहत है। क्षेत्र की शहरी आबादी भाजपा का कोर वोटबैंक बन चुकी है और पिछले चुनावों तक पाटीदारों का भी समर्थन भाजपा को मिलता था। यही वजह थी कि भाजपा क्षेत्र की दो-तिहाई सीटों पर विजयी रही थी। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मध्य गुजरात की 63 विधानसभा सीटों में से 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं कांग्रेस के हाथ 21 सीटें लगी थी। एनसीपी को एक सीट मिली थी वहीं एक अन्य सीट निर्दलीय के खाते में गई थी।

    शहरी क्षेत्रों में मजबूत है भाजपा की पकड़

    मध्य गुजरात के अंतर्गत आने वाले शहरी विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा की पकड़ मजबूत है। मध्य गुजरात की अधिकतर शहरी आबादी वाली सीटें भाजपा के पास हैं। 2012 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने अहमदाबाद के अंतर्गत आने वाली 21 विधानसभा सीटों में से 17 पर अपना कब्जा जमाया था वहीं कांग्रेस को महज 4 सीटों पर सफलता मिली थी। वड़ोदरा के अंतर्गत आने वाली 13 विधानसभा सीटों में से 10 सीटें भाजपा ने जीती थी और कांग्रेस के खाते में 2 सीटें गईं थी। एक सीट पर अन्य दलों के हाथ जीत लगी थी। इन शहरी क्षेत्रों की आबादी मुख्यतः व्यापारी वर्ग से सम्बन्ध रखने वाली है और यही क्षेत्र में भाजपा के वर्चस्व का आधार बना था।

    ग्रामीण इलाकों में आज भी लोकप्रिय है कांग्रेस

    मध्य गुजरात के ग्रामीण इलाकों में आज भी कांग्रेस की लोकप्रियता बरकरार है। मध्य गुजरात में ग्रामीण क्षेत्र के अंतर्गत 5 जिले आते हैं जिनमें पंचमहल, खेड़ा, दाहोद, आणंद और नर्मदा के नाम शामिल हैं। 2012 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान इन जिलों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा था और कहीं वह भाजपा के बराबर में रही तो कहीं एक कदम आगे दिखी। मध्य गुजरात के इन 5 ग्रामीण जिलों की 29 विधानसभा सीटों में से 15 सीटों पर कांग्रेस विजयी रही वहीं भाजपा के हाथ 13 सीटें लगी। अन्य दलों के खाते में एक सीट गई। नर्मदा की दोनों सीटें भाजपा ने जीती। पंचमहल की 7 सीटों में से भाजपा के हाथ 4 सीटें लगी वहीं कांग्रेस ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की। आणंद की 7 सीटों में से कांग्रेस ने 2 वहीं भाजपा ने 2 सीटें जीती और अन्य दलों को एक सीट मिली।

    खेड़ा जिले की 7 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली वहीं भाजपा के हाथ 2 सीटें आईं। दाहोद की 6 सीटों में से 3 सीटें भाजपा ने जीती वहीं 3 सीटें कांग्रेस के हाथ लगी थी। मध्य गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस भाजपा से एक कदम आगे रही थी। भाजपा को अभी तक के चुनावों में गुजरात में पाटीदार समाज का साथ मिलता था जो अब कांग्रेस की तरफ खिसकता दिख रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी की नजर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले दलित और आदिवासी तबके की तरफ भी है। उम्मीद है कि वह इन्हें मनाकर अपनी ओर मिलाने में सफल रहेंगे और भाजपा की सत्ता वापसी की उम्मीदों को धूमिल करेंगे।

    ढ़ीली हुई है भाजपा की पकड़

    पिछले कुछ समय से पूरे गुजरात में भाजपा की पकड़ ढ़ीली हुई है। जब से नरेंद्र मोदी ने गुजरात छोड़ केंद्र की कमान संभाली है, तभी से गुजरात में भाजपा की लोकप्रियता घटने लगी है। मध्य गुजरात में होने वाले चुनावों में किसान, पाटीदार और आदिवासी सबसे अहम किरदार निभाते हैं। भाजपा की किसानों और पाटीदारों पर मजबूत पकड़ थी और इसी वजह से वह दो दशकों से गुजरात की सत्ता पर काबिज थी। आरक्षण सम्बन्धी मांगों को लेकर पाटीदार सड़क पर उतर चुके हैं और खुल्लम-खुल्ला भाजपा की खिलाफत की है। अपने परम्परागत वोटबैंक के खिसकने से भाजपा मध्य गुजरात में बैकफुट पर है। राहुल गाँधी भाजपा से नाराज चल रहे पाटीदारों को साधने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। साथ ही साथ वह दलितों को भी साध रहे हैं ताकि कांग्रेस ग्रामीण गुजरात में बड़ी जीत हासिल कर सके।

    सरदार पटेल की जन्मभूमि बनी सियासी अखाड़ा

    बीते 1 अक्टूबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सरदार पटेल की जन्मभूमि करमसद से गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत की थी। इस यात्रा की कमान गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के हाथों में सौंपी गई थी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गुजरात गौरव यात्रा के दौरान जिन दो चेहरों को आगे कर रहे हैं वह दोनों ही पाटीदार समाज से हैं। गुजरात सरकार के दो पूर्व मंत्रियों को इस यात्रा का प्रभारी बनाया गया है। इनके नाम कौशिक भाई पटेल और गोरधन झडफिया है। 2002 के बाद गुजरात में पहली बार हो रही इस यात्रा का उद्देश्य पाटीदार समाज को लुभाना और भाजपा के खोये जनाधार को वापस सहेजना है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी भी सरदार पटेल की जन्मस्थली जाकर पाटीदार समाज को मजबूत सन्देश देंगे।

    अम्बेडकर की संकल्प भूमि जाएंगे राहुल

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी अपनी मध्य गुजरात की यात्रा के दौरान उन सभी बिंदुओं पर ध्यान दे रहे हैं जो गुजरात सरकार की कमजोर नब्ज साबित हो सकती है। मध्य गुजरात क्षेत्र को किसानों और आदिवासियों का गढ़ माना जाता है। हाल के दिनों में किसानों की बदहाली, नर्मदा विस्थापितों के पुनर्वासन और दलितों की पिटाई जैसे मुद्दों पर गुजरात सरकार की बड़ी किरकिरी हुई है। मुख्यमंत्री के रूप में विजय रुपाणी गुजरात में बहुत लोकप्रिय नहीं हैं। 2012 के विधानसभा चुनावों में मध्य गुजरात क्षेत्र की सभी आदिवासी बाहुल्य सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। इससे स्पष्ट होता है कि आदिवासी कांग्रेस के पक्ष में हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी 10 अक्टूबर को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की संकल्प भूमि वड़ोदरा जाएंगे।

    भगवान के दरबार में कांग्रेस उपाध्यक्ष

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने नवरात्रि के दौरान सौराष्ट्र क्षेत्र का दौरा किया था। अपने पूरे दौरे के दौरान राहुल गाँधी ने कांग्रेस की हिंदुत्व विरोधी छवि तोड़ने की कोशिश की। राहुल गाँधी अपनी रैलियों और सभाओं में माथे पर त्रिपुण्ड और तिलक लगाए नजर आए और उन्होंने मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना भी की। आज से शुरू हुए अपने तीन दिवसीय मध्य गुजरात दौरे पर भी राहुल गाँधी मंदिर-मंदिर मत्था टेकते नजर आएंगे। अपने मध्य गुजरात दौरे के दौरान राहुल गाँधी जिन मंदिरों में जाएंगे उनमें संतराम मंदिर, खोडलधाम और कबीर मंदिर के नाम शामिल हैं। भाजपा ने 2 दशक पहले हिंदुत्व कार्ड खेलकर कांग्रेस से गुजरात छीना था और आज तक कांग्रेस दुबारा गुजरात की सत्ता में नहीं आ सकी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी का यह हिंदुत्व कार्ड कितना सफल रहता है।

    राहुल गाँधी
    हिंदुत्व के सहारे सियासी जमीन तलाश रहे हैं राहुल गाँधी

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।