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    अमित शाह

    भाजपा 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए अभी से तैयारी में जुट गई है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करिश्माई जोड़ी एक बार फिर 2014 लोकसभा चुनावों वाला करिश्मा दोहराने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है। हालाँकि लोकसभा चुनावों में अभी डेढ़ साल का वक्त है लेकिन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अभी से पार्टी की सियासी जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। भाजपा उन सीटों पर ज्यादा ध्यान दे रही है जहाँ वह दूसरे स्थान पर रही थी। इस अभियान की शुरुआत भाजपा अध्यक्ष अमित शाह खुद करने वाले हैं। खबर है कि आगामी 10 अक्टूबर को अमित शाह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी जाएंगे और वहीं से इस अभियान की शुरुआत करेंगे।

    बता दें कि कांग्रेस का गढ़ रही अमेठी सीट नेहरू-गाँधी परिवार की पारम्परिक सीटों में से एक है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने वर्ष 1999 में यहाँ से जीत हासिल की थी और 2004 में यह सीट राहुल गाँधी के लिए खाली कर दी थी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी लगातार 3 बार से इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। संजय गाँधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी भी अमेठी सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में राहुल गाँधी ने भाजपा की स्मृति ईरानी को 1,00,000 से अधिक मतों से हराया था। हालाँकि पिछले चुनावों के मुकाबले यह अंतर तीन गुना घट गया था। इसके अतिरिक्त भाजपा को उत्तर प्रदेश में 6 अन्य सीटों पर भी शिकस्त मिली थी। इन सीटों पर कांग्रेस और सपा प्रत्याशी विजयी रहे थे। भाजपा 2019 में इन हारी हुई सीटों पर जीत हासिल करने की जुगत में लगी है।

    उत्तर प्रदेश में इतिहास दोहराने की कोशिश

    देश की राजनीति का केंद्र कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को केंद्र का सत्ताधारी दल बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 73 सीटें हाथ लगी थी। भाजपा के बहुमत मिलने में उत्तर प्रदेश की बड़ी भूमिका रही थी और इस बात से अमित शाह अच्छी तरह वाकिफ हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए अमित शाह आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों में अभी से जुट गए हैं। इसी वर्ष उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को प्रचण्ड बहुमत मिला था और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी थी। सपा और कांग्रेस साथ आकर भी भाजपा के सामने नहीं टिक सकी थी। इससे यह बात स्पष्ट हो गई थी कि सूबे में अभी भी भाजपा का जादू बरकरार है।

    भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नजरें अब उन 7 सीटों पर है जिसे भाजपा 2014 के लोकसभा चुनावों में नहीं जीत सकी थी। इनमें अमेठी (राहुल गाँधी), रायबरेली (सोनिया गाँधी), आजमगढ़ (मुलायम सिंह यादव), कन्नौज (डिंपल यादव), बदायूं (धर्मेंद्र यादव), मैनपुरी (तेज प्रताप यादव) और फिरोजाबाद (अक्षय यादव) शामिल हैं। यह सभी सीटें सपा और कांग्रेस परिवार ने जीती थी। अमेठी और रायबरेली कांग्रेस का गढ़ रहा है वहीं मैनपुरी, कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद, आजमगढ़ में सपा की अच्छी पकड़ मानी जाती है। इन सभी सीटों पर भाजपा को 2009 के मुकाबले अधिक मत मिले थे और यही वजह है कि भाजपा अब उत्तर प्रदेश में क्लीन स्वीप की तरफ कदम बढ़ा रही है।

    भाजपा शासित प्रदेशों पर नजर

    भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 2019 लोकसभा चुनावों 350+ सीटों का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इसकी तैयारियों के लिए वह भाजपा शासित प्रदेशों को मुख्य रूप से टारगेट कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, झारखण्ड और बिहार में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार है। इन 10 राज्यों को मिलाकर कुल 288 लोकसभा सीटें हैं। यह पूरे देश की लोकसभा सीटों के आधे से भी ज्यादा है। भाजपा इस जुगत में लगी है कि सहयोगी दलों के साथ मिलकर वह इन राज्यों में क्लीन स्वीप करे। गुजरात, राजस्थान, उत्तराखण्ड और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान क्लीन स्वीप किया था और अब वह सभी भाजपा शासित राज्यों को लक्ष्य बना रही है।

    इन सभी 10 राज्यों में भाजपा का कोर वोटबैंक माने जाने वाले हिन्दू वोटरों की अधिकता है। भाजपा विकास को अहम चुनावी मुद्दा बनाएगी पर वह पार्टी की हिंदुत्व हितैषी छवि का ध्यान रखकर हर कदम उठा रही है। भाजपा इसके साथ-साथ सभी सियासी बिंदुओं को भी साध रही है और जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर ही आगे बढ़ रही है। बीते कुछ दिन मोदी सरकार के लिए अच्छे नहीं गुजरे हैं और आर्थिक मोर्चे पर सरकार की असफलता की चहुँओर आलोचना हो रही है। उम्मीद है कि मोदी सरकार आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था सुधर के लिए कुछ प्रभावी कदम उठाए और 2019 में भाजपा की सत्ता वापसी का मार्ग प्रशस्त करे।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।