गुरुवार के दिन, वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि कृषि वस्तुएं जैसे चाय, कॉफी, फल और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति- 2018 को मंजूरी दी है।
मंत्रिमंडल की मीटिंग में मंजूर हुई इस नीति का उद्देश्य है कि देश में कृषि वस्तुओं का निर्यात बढ़ जाये मगर साथ ही साथ ऐसी नीतियों पर भी पर्दा पड़ जाये जो खाद्य मुद्रास्फीति में सहयोग देता है।
प्रभु ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया-“सरकार का ये भी लक्ष्य है कि ‘वैश्विक मूल्य श्रृंखला’ से जुड़कर 2022 तक भारत के कृषि निर्यात को 60 बिलियन डॉलर तक दुगुना करना है। इसके पीछे विचार ये है कि किसानो को निर्यात के जरिये काफी पैसा कमाने का मौका मिलेगा।”
सरकार ने अभी विस्तार से इस निति के बारे में नहीं बताया है मगर ये जरूर कहा है कि इससे कृषि निर्यात के बुनियादी ढांचे में सुधार आएगा और खाद्य मुद्रास्फीति के दौरान सरकार, निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाने से भी बचने की कोशिश करेगी। निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाने से किसानो में गुस्सा भर जाता है और ये देश के लिए ही हानिकारक है क्योंकि किसान ही इस देश का कर्ता धर्ता है। अपनी फसल का बेहतर दाम पाने के लिए हाल ही में आँख बबूला हुए किसानो ने मुंबई और दिल्ली जैसे शहरो में विरोध प्रदर्शन किया था।
Glad to see that the Union Cabinet has cleared Agriculture Export Policy, the first ever policy to have been brought out by Govt of India till date.Incidentally, this is also my first policy announcement after taking charge as Commerce & Industry Minister. #AgriExportPolicy2018
— Suresh Prabhu (@sureshpprabhu) December 6, 2018
अगले साल लोक सभा चुनाव है और 2004 के चुनावो में भाजपा के हारने का मुख्य कारण थे ग्रामीण मतदाता।
प्रभु के अनुसार, “राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति” इस बात पर भी ध्यान देगी कि बुनियादी ढांचे में सुधार आये और साथ ही ये भी सुनिश्चित करेगी कि राज्य सरकार, कृषि निर्यात के बढ़ावे में मुख्य भूमिका निभाएं।
Our vision to have this Agriculture Export Policy is to harness export potential of Indian agriculture through suitable policy instruments to make India global power in agriculture and raise farmers’ income. #AgriExportPolicy2018 pic.twitter.com/bLEXh3LVWa
— Suresh Prabhu (@sureshpprabhu) December 6, 2018