17 जुलाई को देश के चौदहवें राष्ट्रपति के लिए हुए चुनावों की मतगणना जारी है। यूपीए उम्मीदवार मीरा कुमार के सामने एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत पक्की मानी जा रही है। चुनाव के दौरान सियासत के कई रंग देखने को मिले। कहीं परिवार में रार दिखी तो कहीं गठबंधन में दरार आई। 17 जुलाई को देश के चौदहवें राष्ट्रपति के लिए हुए चुनावों की मतगणना जारी है। दोपहर तक मतगणना के पहले रुझान आने की सम्भावना है।
बदल सकता है सियासी गणित
राष्ट्रपति चुनावों में उम्मीदवारों के समर्थन को लेकर टकराव देखने को मिले। नीतीश कुमार की जेडीयू ने महागठबंधन की सोच से परे जाकर रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन किया। वहीं केरल के जेडीयू अध्यक्ष एम.पी.वीरेंद्र कुमार ने कोविंद के संघी होने की बात कहकर मीरा कुमार का समर्थन किया। समाजवादी पार्टी फिर दो धड़ों में बँटी नजर आई। मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव ने रामनाथ कोविंद का समर्थन किया वहीं अखिलेश यादव ने मीरा कुमार का पक्ष लिया। शिवपाल ने सपा के 11-15 विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने की बात भी कही।
त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस के 6 विधायकों ने पार्टी निर्णय के खिलाफ जाकर कोविंद के पक्ष में मतदान किया और पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने की धमकी भी दी। पंजाब में आप की सहयोगी लोक इन्साफ पार्टी के बैंस बंधुओं ने अरविन्द केजरीवाल के निर्णय के खिलाफ जाकर कोविंद का समर्थन किया।
गुजरात के भाजपा विधायक नलिन कोटडिया ने रामनाथ कोविंद के खिलाफ वोटिंग की बात कही थी। वह पाटीदार आंदोलन पर सरकार के रवैये से नाखुश थे और उन्होंने भाजपा सरकार पर समाज के 14 लोगों की हत्या करने का आरोप लगाया।
क्रॉस वोटिंग भविष्य में नए सियासी समीकरण बनाने की सम्भावनायें पैदा कर सकती है और यह भाजपा के साथ-साथ सहयोगी दलों के लिए भी फायदेमंद सौदा साबित होगा।