देश के चौदहवें राष्ट्रपति चुनावों के लिए मतदान आज होगा। राष्ट्रपति चुनावों के इतिहास में यह पहला मौका है जब दो दलित उम्मीदवार एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। भाजपा और उसके समर्थक दलों ने श्री रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार चुना है जिन्हें बिहार, ओडिशा और तेलंगाना के सत्तारूढ़ दलों सहित कुल 40 दलों का समर्थन हासिल है। वही विपक्ष की उम्मीदवार श्रीमती मीरा कुमार भी दलित समुदाय का ही नेतृत्व करती हैं और उन्हें 18 दलों का समर्थन प्राप्त है। मतदान संसद भवन के अतिरिक्त देश के हर राज्य की विधानसभा में मतदान प्रातः 10 बजे से शाम को 5 बजे तक होगा। चुनाव आयोग ने सारी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं।
उम्मीदवार : एक नजर में
बिहार के पूर्व राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी चर्चा में है। श्री कोविंद पूर्व में दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के वकील के तौर पर कार्य कर चुके है और सुप्रीम कोर्ट में भी इस पद को सुशोभित कर चुके हैं। उनकी उम्मीदवारी को भाजपा की दलित वोट बैंक को बढ़ाने की राजनीति में उल्लेखनीय कदम माना जा रहा है। साथ ही उत्तर प्रदेश में दलित वोटों की राजनीति करने वाले बसपा सरीखे दलों की जड़ें हिलाकर रख दी है। अगर गौर से देखें तो श्री कोविंद की उम्मीदवारी से सबसे बड़ा नुकसान बसपा को ही है। श्री कोविंद मूलतः उत्तर प्रदेश में कानपुर के रहने वाले है और देश के राष्ट्रपति चुनाव के अबतक के इतिहास में इकलौते ऐसे उम्मीदवार हैं जो उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वहीं बिहार के पूर्व राज्यपाल को जेडीयू का समर्थन मिलने के बाद कांग्रेस ने “बिहार की बेटी” श्रीमती मीरा कुमार पर अपना दांव खेला। बिहार के आरा जिले में जन्मी श्रीमती कुमार प्रसिद्द दलित नेता जगजीवन राम की बेटी हैं। वह 1975 बैच की भारतीय विदेश सेवा में अधिकारी रह चुकी हैं। वह देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बाद दावेदारी करने वाली बिहार से पहली उम्मीदवार हैं। उनकी उम्मीदवारी पर विपक्ष को उम्मीद थी कि जेडीयू उनके साथ आ जाएगी पर नीतीश आज भी कोविंद के साथ खड़े है। विपक्ष ने दलित बनाम दलित का नाम देकर चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है।
जुड़ेगा नया अध्याय
चुनाव परिणामों के बाद देश के राष्ट्रपति चुनाव इतिहास में नया अध्याय जुड़ना तय है। अगर श्री कोविंद विजयी रहते हैं तो यह पहला मौका होगा जब उत्तर प्रदेश का कोई प्रतिनिधि इस पद को सुशोभित करेगा। श्रीमती कुमार की जीत डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बाद बाद पहली बार बिहार को इस गरिमामयी पद के प्रतिनिधित्व का अवसर देगी। जीत चाहे किसी की भी हो, लम्बे अंतराल बाद यह अवसर आएगा जब एक हिन्दीभाषी राज्य का प्रतिनिधि इस पद को सुशोभित करेगा।