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    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत

    राष्ट्रिय समाज सेवक संघ (आरएसएस) के चीफ मोहन भागवत ने कहा है कि वे अयोध्या राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही मानेंगे।

    राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट 5 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी। दरअसल पिछली बार अदालत ने सबूतों और जरूरी कागजात के अनुवाद के लिए फैसले को कुछ महीनों के लिए स्थगित कर दिया था।

    कल मोहन भागवत ने करीबन 50 देशों के कूटनीतिज्ञों से बात चीत की थी। इस दौरान उनसे प्रश्न किया गया था कि क्या राम मंदिर का मामला अगले चुनावों से पहले सुलझ जाएगा?

    भागवत ने इसपर कहा कि आरएसएस इसपर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार कर रहा है और उसकी पालना करेगा।

    इस दौरन यह भी पूछा गया था कि क्या संघ सरकार को चलाने में किसी तरह की भूमिका अदा करता है। इसपर भागवत ने कहा कि संघ भाजपा को नहीं चलता और भाजपा संघ को नहीं चलती। दोनों संगठन स्ंतंत्र भाव से काम करते हैं।

    हालाँकि उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी उनके अच्छे मित्र हैं और उनसे कई बार सलाह मशवरा करते हैं। आरएसएस के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार चलाने में किसी प्रकार की दखल संघ नहीं देता है। हालाँकि कई बार जांच पड़ताल करने के लिए संघ सरकार की मदद करता है।

    हिदुत्व के बारे में पूछे जाने पर भागवत ने कहा, ‘समय के साथ हम बदलते है। जब कोई हिंदुत्व की बात करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं क्या पहनता हूँ या क्या कैसे रहता हूँ? हिन्दू धर्म इस सबसे स्वतंत्र है। हिंदुत्व का मतलब है कि सबको हर रूप में स्वीकार करना।’

    जब उनसे पूछा गया कि वे समाज में किस तरह के बदलाव चाहते हैं, तो भागवत ने कहा, ‘समाज में अनुशासन, देशभक्ति और शान्ति का माहौल होना चाहिए। इसके अलावा दहेज़ जैसी कुप्रथा समाज से हटानी होगी।’

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।