Fri. Nov 15th, 2024
    योगी आदित्यनाथ

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने 4 महीनों के कार्यकाल में दूसरी बार अयोध्या जा रहे हैं। बतौर सीएम पिछले 60 दिनों में यह उनकी दूसरी अयोध्या यात्रा है। वे यहाँ राममंदिर आंदोलन के अगुवा रहे रामचंद्र परमहंस की चौदहवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे हैं। इस दौरे के मद्देनजर जोरों-शोरों से तैयारियाँ चल रही हैं।

    मुख्यमंत्री अयोध्या में जिन-जिन मार्गों से गुजरेंगे उन्हें या तो नए सिरे से बनाया जा रहा है या उनपर गड्ढे भरने के लिए पैचिंग का कार्य किया जा रहा है। सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर दी गई है। योगी दिगंबर अखाड़े में भोजन और विश्राम करेंगे और वहाँ की व्यवस्था भी चौकस की जा रही है। अखाड़े के समीप बन रहे सभास्थल में योगी लोगों को सम्बोधित करेंगे। इस स्थान पर वाटरप्रूफ टेंट की व्यवस्था की गई है। पूरे स्थल को भगवामय कर दिया गया है। यह पूरा कार्य खुद फैज़ाबाद के डीएम संतोष राय की देखरेख में हो रहा है।

    अयोध्या में राममंदिर निर्माण थी आखिरी इच्छा

    योगी जिस संत रामचंद्र परमहंस के पुण्यतिथि समारोह में शामिल होने अयोध्या गए है वह राममंदिर आंदोलन की अगुवाई कर चुके हैं। ऐसे में राममंदिर निर्माण को लेकर फिर से अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। रामचंद्र परमहंस की आखिरी इच्छा थी कि अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण हो। यही इच्छा योगी आदित्यनाथ के गुरु महंत अवैद्यनाथ की भी थी। ऐसे में इस दौरे के कई मतलब निकाले जा रहे हैं। मुमकिन है योगी का यह दौरा राममंदिर निर्माण आंदोलन में एक नया आगाज हो।

    योगी यहाँ दिगंबर अखाड़े के महंत सुरेश दास के अलावा कुछ और साधु-संतों से भी मिलेंगे और राममंदिर मुद्दे को लेकर बातचीत करेंगे। वे 26 जुलाई को दिनभर अयोध्या में ही रहेंगे। उनके दौरे को लेकर दिगंबर अखाड़े के महंत और रामचंद्र परमहंस के शिष्य सुरेश दास कहते हैं कि महंत अवैद्यनाथ और रामचंद्र परमहंस को सच्ची श्रद्धांजलि तभी मिलेगी जब योगी अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण कराएं।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।