कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने आज फिर राफेल मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि राफेल डील भारत और फ़्रांस के बीच नहीं हुई बल्कि ये अम्बानी और मोदी के बीच की पार्टनरशिप है।
राहुल गाँधी ने पूछा कि आखिर ऐसी क्या वजह थी कि दसॉल्ट एविएशन ने अम्बानी की घाटे में चल रही कंपनी में अपने 284 करोड़ रूपये का विशेष किया?
कांग्रेस अध्यक्ष ने दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि ‘दसॉल्ट एविएशन ने अनिल अम्बानी की कंपनी में 284 करोड़ रुपये का निवेश किया और अम्बानी ने उन्ही पैसों से जमीनें खरीदी। इसका मतलब है कि दसॉल्ट के सीईओ झूठ बोल रहे हैं। वो घाटे में चल रही कंपनी में 284 करोड़ रूपये का निवेश क्यों करेंगे?’
राहुल गाँधी के कहा कि राफेल एक ओपन एन्ड शट केस है। ये दो देशों के बीच का पार्टनरशिप नहीं बल्कि अम्बानी और मोदी के बीच का पार्टनरशिप है।
राहुल गाँधी का ये बयान एक वेबसाइट के उस खुलासे के बाद आया जिसमे कहा गया था कि दसॉल्ट एविएशन ने 2017 में अनिल अम्बानी के एक अन्य प्रोजेक्ट में 40 करोड़ यूरो का निवेश किया है।
दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रीपर ने इकोनॉमिक्स टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि उनपर अपना ऑफसेट पार्टनर चुनने के लिए भारत की तरफ से कोई दवाब नहीं था।
उन्होंने साफ़ किया कि ‘जब 2012 में दसॉल्ट को चुना गया था तो दसॉल्ट और हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड (HAL) के बीच भारत में बनने वाले विमानों के निर्माण की जिम्मेदारी के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई थी इसलिए हमने HAL को चुनने की बजाये रिलायंस को चुना। क्योंकि रिलायंस हमें वो सुविधाएं और भारत में बनने वाले विमानों की जिम्मेदारी लेने को तैयार था।’
वेबसाइट के खुलासे के बाद राहुल गाँधी ने इकोनॉमिक्स टाइम्स के इंटरव्यू में दिए ट्रीपर के बयान को झूठ बताया और दोहराया कि प्रधानमंत्री मोदी के दखल के बाद दसॉल्ट ने इस डील में रिलायंस की इंट्री कराई।