श्रीलंका की संसद में में बर्खास्त प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे के समर्थन में विश्वास को व्यक्त करने के लिए अगले हफ्ते एक प्रस्ताव लाया जायेगा। हलाकि इस प्रस्ताव की आधिकारिक तिथि का ऐलान नहीं किया गया है। संसद की अगली बैठक 12 दिसम्बर को आयोजित होगी।
श्रीलंकाई राजनीतिक संकट
श्रीलंका में राजनीतिक संकट बरकरार है। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमन्त्री से बर्खास्त कर, पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री पद की कमान सौंप दी थी। साथ ही उन्होंने सदन को भी भंग कर दिया था। जानकार इस राजनीतिक संकट के रचियता मैत्रिपाला सिरिसेना को ही मान रहे हैं।
श्रीलंका के राष्ट्रपति ने कहा कि जारी राजनीतिक संकट का एक सप्ताह में समाधान हो जायेगा, यह मसला पूरी तरह सुलझ जायेगा। उन्होंने कहा कि मैं यह प्रयास अपनी जनता, आपके और मातृभूमि के लिए कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि वह सभी राजनेताओं और सियासी दलों की ओर शांति का हाथ बढ़ाएंगे।
अदालत ने लगाया महिदा राजपक्षे पर फौरी अंकुश
अदालत ने महिदा राजपक्षे के कार्यकाल पर फौरी अंकुश लगाया है। 122 सांसदों द्वारा सरकार के खिलाफ याचिका दायर करने के बाद अदालत ने कैबिनेट को अपने पद के तरीके के संचालित करने पर रोक लगाई है। अदालत इस मसले पर 12 और 13 दिसम्बर को सुनवाई करेगी। श्रीलंका की संसद के 122 सांसदों ने पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजक्षे को अदालत में चुनौती दी थी।
राष्ट्रपति को हिटलर की उपाधि
रानिल विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति को कहा कि हिटलर या अन्य तानाशाहों की तरह व्यवहार न करें। पूर्व प्रधानमन्त्री ने कहा कि संसदीय बहुमत यह निर्णय लेता है कि प्रधानमंत्री कों बनेगा, राष्ट्रपति नहीं कह सकता है कि वह क्या चाहता है। उन्होंने कहा कि सभी को संविधान का पालन करना होगा।
संसद में बहुमत
रानिल विक्रमसिंघे की यूएनपी के समक्ष सदन में 106 सीटे हैं जबकि महिंदा राजपक्षे और मैत्रिपाला सिरिसेना के गठबंधन के अमक्षा महज 95 सीट है। श्रीलंका के दोनों विरोध दल सत्ता में बने रहने के लिए सभी पैंतरे आजमा रहे हैं। हाल ही में श्रीलंका के सबसे बड़े संजातीय समूह ने तमिलों के गठबंधन ने रानिल विक्रमसिंघे को अपना समर्थन दिया है। इस गठबंधन के समक्ष 14 सीटें हैं जो विक्रमसिंघे का संसद में बहुमत साबित करती है।