Fri. Nov 22nd, 2024

    राजस्थान में कोरोना महामारी की तीसरी लहर की दस्तक के साथ ही राज्य सरकार पहले से अधिक सजग हो गई। तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने की आशंका के बीच प्रदेश के दौसा और डूंगरपुर जिलों में बड़ी संख्या में 0 से 18 साल तक के बच्चे संक्रमित हुए हैं। सरकार के सामने बड़ी चुनौती तीसरी लहर पर लगाम लगाना और ब्लैक फंगस पर जल्द से जल्द काबू पाना है। जिलों से चिकित्सा एवं गृह विभाग तक पहुंची जानकारी के अनुसार पिछले एक माह में दौसा जिले में करीब 341 बच्चे पॉजिटिव हुए हैं।

    प्रदेश के आदिवासी जिले डूंगरपुर में 10 से लेकर 22 मई के बीच 325 बच्चे संक्रमित मिले हैं। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों के संक्रमित मिलने के बाद डूंगरपुर में चाइल्ड डेडिकेटेड कोविड सेंटर्स बनाए गए हैं। दौसा में भी इसी तरह के सेंटर्स बनाए जा रहे हैं। बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ जैसे आदिवासी जिलों में भी कम उम्र के 5 से 7 बच्चे संक्रमित मिले हैं। इस मामले में डूंगरपुर जिला कलेक्टर सुरेश ओला का कहना है कि जिनके माता-पिता संक्रमित हुए ,वे बच्चे पॉजिटिव मिले हैं। डूंगरपुर के मेडिकल कॉलेज में इलाज का पूरा प्रबंध है। ओला इतनी बड़ी संख्या में बच्चों के संक्रमित होने की बात मानने को तैयार नहीं है, लेकिन स्थानीय व जिला स्तर के अस्पतालों के रिकॉर्ड के अनुसार 325 बच्चे संक्रमित हुए हैं।

    लेकिन विशेषज्ञों और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने के ठोस वैज्ञानिक संकेत नहीं हैं। इसके लिए वे पहली और दूसरी लहर के बीच समानता की दलील देते हुए तीसरी लहर के अलग होने की आशंका को निराधार बता रहे हैं।

    तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने के बारे में पूछे जाने पर एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि पहली और दूसरी लहर का डाटा देखें तो पाते हैं कि बच्चे बहुत कम संक्रमित होते हैं और अगर हुए भी हैं तो लक्षण हल्के (माइल्ड) ही रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं है कि तीसरी लहर में संक्रमण बच्चों में ज्यादा होगा और वह भी गंभीर (सीवियर) होगा। बच्चों में कोरोना के कम संक्रमण या माइल्ड संक्रमण का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक तर्क यह दिया जा रहा है कि कोरोना वायरस जिस रिसेप्टर के सहारे कोशिका से जुड़ता है, वह बच्चों में कम होता है।

    उधर ब्लैक फंगस ने भी सरकार की चिंता बढ़ा रखी है। प्रदेश में अब तक 700 से अधिक ब्लैक फंगस के पीड़ित मिल चुके हैं। इनके इलाज के लिए जयपुर स्थित सवाई मानसिंह अस्पताल में एक वार्ड बनाया गया है। चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा ने बताया कि ब्लैक फंगस को देखते हुए व्यापक स्तर पर सर्वे शुरू किया गया है। पिछले एक माह में कोविड से रिकवर हुए वे लोग जिन्हे हार्ट, डायबिटीज या कैंसर जैसे रोग है और उन्हे संक्रमित होने के दौरान अधिक मात्रा में स्टेरॉयड दिया गया है,उनकी सूची तैयार की जा रही है। मंगलवार तक यह सूची तैयार हो जाएगी। ऐसे सभी मरीजों को फॉलोअप किया जाएगा, जरूररत के अनुसार उनका उपचार होगा । ऐसे मरीजों को घर शूगर का ध्यान रखने के लिए कहा जाएगा ।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *