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    राजस्थान आरक्षण सुप्रीम कोर्ट

    राजस्थान सरकार ने हाल ही में राज्य में अन्य पिछड़ी जातियों के आरक्षण को 21 फीसदी से से बढ़ाकर 26 फीसदी करने की घोषणा की थी। इसपर राजस्थान हाई कोर्ट ने इस बिल पर रोक लगा दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक केस दाखिल किया था, जिसमे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।

    आज सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार की दलीलों को मानते हुए हाई कोर्ट के रोक लगाए जाने वाले फैसले को रद्द कर दिया।

    इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को यह आदेश दिए है कि कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ऊपर नहीं जानी चाहिए।

    राजस्थान सरकार ने इससे पहले कुल आरक्षण को 48 फीसदी से बढ़ाकर 54 फीसदी कर दिया था।

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    सरकार ने अन्य पिछड़ी जातियों जिनमे गुज्जर/गुर्जर, बंजारा/बालड़ीआ/लबाना, गड़िआ/लुहार/गडालिया, राइका/रेबारी और गडरिया के आरक्षण को  21 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने का फैसला किया था।

    वसुंधरा सरकार के इस फैसले की चारों और निंदा की गयी थी।

    इस साल के मई महीने में राजस्थान सरकार ने फिर से गुर्जर आरक्षण का बिल संसद में आगे बढ़ाया था। इस दौरान सरकार ने कहा था कि ओबीसी आरक्षण इसलिए बढ़ाया जा रहा है क्योंकि राज्य में ओबीसी वर्ग के लोगों की जनसंख्या बढ़ रही है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।