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    हार्दिक पटेल

    हार्दिक पटेल का कांग्रेस के साथ जाने को लेकर रोमांच अपने अंतिम पड़ाव पर है। गुजरात चुनाव अब नजदीक आ गया है और गुजरात में एक विशेष रूप लिए बैठे हार्दिक अब मुश्किल में घिरते नजर आ रहे है। कांग्रेस के साथ पाटीदार नेताओ की बातचीत हुई है जिसपर एक दो दिन में फैसला आने है। हालाँकि हार्दिक अब अपने ही बुने जाल में फंस चुके है।

    राजनीतिक जानकारों कि माने तो गुजरात में अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी के जुड़ जाने से वहा कांग्रेस को फायदा होगा। साथ ही इन दोनों के राजनैतिक कैरियर की शुरुआत भी होगी, वही हार्दिक पटेल के हां और ना करने से उनके राजनीती भविष्य को लेकर अनिश्चितता नजर आ रही है। देखा जाए तो अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी से ज्यादा हार्दिक की राह मुश्किल भरी दिख रही है।

    जानकारों के मुताबिक पाटीदार आरक्षण को लेकर हार्दिक ने जो शर्ते कांग्रेस के पास रखी थी, उसपर सहमती होने की संभावना ना के बराबर है। वही पाटीदार आंदोलन को उतनी उचाई पर लेके जाने के बाद हार्दिक का अब पीछे हटना बहुत मुश्किल है। ऐसे में इस आंदोलन को लेकर हार्दिक की नाव किनारा लेने का नाम नहीं ले रही है। फिलहाल कांग्रेस से जुड़ने के बाद अल्पेश ठाकोर के समर्थकों में इजाफा दिख रहा है। ऐसी स्थिति में हार्दिक के दो साथी पहले ही उनका साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम चुके है। वरुण पटेल और रेशमा पटेल उनपर कांग्रेस के एजेंट होने का आरोप लगाते हुए बीजेपी से जुड़ गए।

    जानकारों का मानना है कि भाजपा पटेलों में सेंधमारी करने की जोरदार कोशिश कर रही है, और भाजपा अपने कार्यों में सफल होती दिख रही है। अगर भाजपा की यह कोशिश पूरी तरह सफल रही तो हार्दिक अपने ही खेमे में कमजोर हो जायेंगे। ऐसा हुआ तो हार्दिक की छवि उनके ही लोगो के बीच धूमील पड़ जाएगी।

    वही दूसरी ओर अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी जिन समुदाय का प्रतिनिधित्व करते है उनमे ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो इन दोनों के जनाधार को बाँट सके। लेकिन प्रदेश में पटेलों का दबदबा हर क्षेत्र में होने से इनका मामला अल्पेश और मेवाणी से भिन्न है। गुजरात की भाजपा सरकार में भी पटेलों का बढचस्व है पटेलों की ओर से भाजपा में 40 विधायक आते है। और गुजरात का एक चर्चित चेहरा आनंदी बेन पटेल भी भाजपा की नेता है जो कि पटेलों में सेंधमारी करने में बीजेपी की ओर से उनका बड़ा योगदान है।

    गुजरात में हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन को लेकर कांग्रेस से बातचीत के दौरान कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। हार्दिक ने आरक्षण को लेकर विपक्ष को आठ नंवबर तक का समय दिया था। लेकिन कांग्रेस कि ओर से इसका कोई समाधान नजर नहीं आया। बैठक में मौजूद कांग्रेस के क़ानूनी सलाहकार और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल मौजूद थे और साथ में गुजरात कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी भी मौजूद थे।

    कांग्रेस की तरफ से दोनों ने यह आश्वासन देते हुए कहा कि अगले बैठक में पार्टी कोई ना कोई निष्कर्ष जरूर निकलेगी। बैठक में कोर कमेटी की अगुवाई करने वाले हार्दिक के करीबी सहयोगी दिनेश बांभणिया ने बाद में पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस ने तीन विकल्प सुझाए है। इनपर हार्दिक से चर्चा होगी और साथ ही समुदाय से भी राय विमर्श किया जायेगा। इसके बाद कांग्रेस पार्टी के साथ एक और बैठक होगी, जो फैसला आएगा उसके हिसाब से कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने की बात होगी।

    वही भाजपा का आरोप है कि हार्दिक और कांग्रेस का मैच पहले से है फिक्स है। इन दोनों के बीच बैठक केवल दिखावा और ढकोशला है।