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    योगी आदित्यनाथ

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब से सूबे की सत्ता संभाली है तब से वह लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं। उनके हर एक फैसले को मीडिया खास तवज्जो देता है और प्रदेश की जनता में उनकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अब तक प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मुस्लिम समाज के खिलाफ लिए जाने वाले उनके हर फैसले को उनकी हिंदुत्ववादी छवि से जोड़कर देखा जाता रहा है। अब उनकी “मुस्लिम विरोधी” छवि को लेकर कायम इस धारणा को और बल मिला है। उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी योगी सरकार ने सूबे के मदरसों को एक और झटका दिया है। धांधली की शिकायत मिलने के बाद राज्य सरकार ने 46 मदरसों को मिलने वाली अनुदान राशि पर रोक लगा दी है। इन मदरसों पर तय तय मानकों के हिसाब से काम नहीं करने की शिकायत मिली थी। यह रोक डीआईओएस की रिपोर्ट आने के बाद लगाई गई है।

    मानकों की अनदेखी का लगा आरोप

    उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के 560 मदरसों को अनुदान राशि देती है। मदरसा शिक्षकों का वेतन और मदरसों के रखरखाव का मद इसी अनुदान राशि के अन्तर्गत आता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने जिन 46 मदरसों का अनुदान रोका है उन पर पूर्व निर्धारित मानकों की अनदेखी करने का आरोप लगा है। मानकों की अनदेखी के सम्बन्ध में दाखिल शिकायतों में यह पाया गया कि इन मदरसों में नियुक्त शिक्षकों को तय वेतन नहीं मिलता है। कम वेतन देकर इनसे जबरन अधिक वेतन प्राप्ति का हस्ताक्षर कराया जाता है। यहाँ रिकॉर्ड में दर्ज वेतन और शिक्षकों को मिलने वाले वेतन में अंतर पाया गया। इसके अतिरिक्त इन मदरसों में पढ़ाई-लिखाई की हालत भी खस्ता है। यहाँ पढ़ाई-लिखे सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई है। मदरसा संचालक छात्रों के कल्याण के लिए राज्य सरकार से मिलने वाले अनुदान को खुद ही गटक जाते हैं।

    पहले भी निशाने पर रहे हैं मदरसे

    इससे पहले भी उत्तर प्रदेश के मदरसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निशाने पर रह चुके हैं। बीते स्वतंत्रता दिवस के पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी मदरसों को यह निर्देश दिया था कि वह स्वतंत्रता दिवस पर मदरसों में आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम और राष्ट्रगान की वीडियोग्राफी कराए। मदरसा संचालकों ने इस आदेश पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा था कि भरता उनका भी देश है और वह भी देशहित में सोचते हैं। इस तरह की देशभक्ति का सबूत देकर उन्हें अपनी देशभक्ति साबित करने की जरुरत नहीं है।

    इसके कुछ दिन उपरान्त ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी मदरसों को यह आदेश दिया था कि मदरसों के बाहर मदरसों का नाम, उनके खुलने-बंद होने का समय और अन्य सभी तरह की सूचनाएं हिंदी में भी लिखी जाएं। अभी तक यह सिर्फ उर्दू में लिखी होती थी। उनके इस आदेश का भी मदरसा संचालकों ने कड़ा विरोध किया था और कहा था कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अल्पसंख्यकों को दबाने का काम कर रही है। उन्होंने सरकार के इस फैसले को नकारात्मक कहा था। इस आदेश पर उत्तर प्रदेश के मंत्री बलदेव सिंह ओळख ने कहा था कि सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि अधिक से अधिक लोग मदरसों का नाम जान सके और यह जाने कि किस मदरसे में कौन सी पढ़ाई होती है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।