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    प्रयागराज

    उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने मंगलवार को फैज़ाबाद का नाम बदलकर अयोध्या और इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने की मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली एक कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला किया गया।

    प्रयागराज डिवीजन में प्रयागराज, कौशम्बी, फतेहपुर और प्रतापगढ़ जिले शामिल होंगे, जबकि अयोध्या विभाजन में अयोध्या, अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर, अमेठी और बाराबंकी जिले शामिल होंगे।

    इस निर्णय के एक दिन पहले ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार से इलाहाबाद का नाम प्रयागराज बदलने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था। लखनऊ खंडपीठ के जस्टिस विक्रम नाथ और राजेश सिंह चौहान ने सोमवार को अगली सुनवाई तय की।

    राज्य के जिलों, कस्बों और रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने के फैसलों का न सिर्फ विपक्षी बल्कि सत्तारूढ़ एनडीए के घटक सुहेल्देव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) से भी आलोचना की। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री को नाम बदलकर क्रेडिट लेने के लिए मुख्यमंत्री की आलोचन की।

    अखिलेश यादव ने इलाहाबाद का अनाम बदल कर प्रयागराज करने की आलोचना करते हुए कहा था ‘राजा हर्षवर्धन ने दान देकर ‘प्रयाग कुंभ’ को महान बनाया, लेकिन आज के शासकों ने शहर को ‘प्रयागराज’ में नामित करके श्रेय लेने की कोशिश की है।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने ‘अर्ध कुंभ’ को ‘कुंभ’ के नाम से भी नामित किया है। यह हमारी परंपरा और विश्वास को झुकाता है।

    कांग्रेस ने भी आलोचना करते हुए कहा कि ऐतिहासिक शहर के नाम को ‘प्रयागराज’ में बदलना राष्ट्र के इतिहास के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास है। उत्तर प्रदेश के मंत्री और एसबीएसपी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने भारतीय जनता पार्टी के इस कदम पर मजाक उड़ाया और कहा कि विभिन्न शहरों और स्थानों के नाम बदलने से पहले पार्टी को अपने मुस्लिम नेताओं के नाम बदलना चाहिए।

    राजभर ने कहा था कि ‘बीजेपी ने मुगलसराय और फैजाबाद के नाम बदल दिए। वे कहते हैं कि उनका नाम मुगलों के नाम पर रखा गया था। उनके पास राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन, केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, उत्तर प्रदेश मंत्री मोहसिन रजा – भाजपा के तीन मुस्लिम चेहरे हैं। उन्हें उनके नाम पहले बदलना चाहिए।’

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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