कोरोना संक्रमण से मचे हाहाकार के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसीयूजीसी) ने फिलहाल परीक्षाओं से जुड़ा फैसला विश्वविद्यालयों पर छोड़ दिया है। वे स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षाएं कराने या फिर छात्रों को सीधे प्रमोट करने का फैसला ले सकेंगे। हालांकि अब तक जो स्थिति है, उसमें ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने अंतिम वर्ष को छोड़कर बाकी सभी छात्रों को बगैर परीक्षा के ही अगली कक्षाओं में प्रमोट करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए विश्वविद्यालयों ने यूजीसी की ओर से पिछले साल परीक्षाओं को लेकर तय की गई गाइडलाइन को आधार बनाया है।
यूजीसी के सचिव का कहना है कि विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थान होते हैं। ऐसे में वे परीक्षाएं आयोजित करने और सत्र की शुरुआत करने का निर्णय स्वयं ले सकते हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षाओं को लेकर कोई स्टैंडर्ड गाइडलाइन अभी तक नहीं बनाई गई है।
ऐसे में विश्वविद्यालयों ने स्नातक के प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को इंटरनल अस्सेस्मेंट के आधार पर अंक प्रदान करके प्रमोट करने का फैसला किया है। यूनिवर्सिटी फाइनल ईयर एग्जाम जुलाई-अगस्त में आयोजित कराने की योजना बनाई जा रही है। फाइनल ईयर के एग्जाम भी होंगे या नहीं, ये जून के बाद ही फैसला लिया जाएगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक नोटिस जारी कर सभी विश्वविद्यालयों को मई महीने में आयोजित होने वाली ऑफलाइन परीक्षाओं को रद्द करने का निर्देश दिया है। स्थानीय परिस्थितियों का आंकलन करने के बाद ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लेने के लिए कहा गया है। यूजीसी द्वारा जारी किया गया नोटिस यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है। आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को लिखे अपने पत्र में जोर देकर कहा कि चल रही कोरोना महामारी के दौरान, सभी की स्वास्थ्य और सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है जैसा कि निर्देशित किया गया है।
इसके साथ ही आयोग ने भारत भर के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और संस्थानों को एक कोविड-19 टास्कफोर्स स्थापित करने के लिए कहा है जो इस मुश्किल समय के दौरान छात्रों, शिक्षकों, उनके परिवारों और अन्य हितधारकों का समर्थन प्रदान करेगी।
यूजीसी ने एक आधिकारिक नोटिस में कहा, “ये चुनौतीपूर्ण समय मांग करता है कि हम अपने हितधारकों की समस्याओं और जरूरतों के प्रति संवेदनशील बने रहें और इस तरह की अभूतपूर्व स्थिति से उबरने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ संभव सहयोग दें। संस्थानों के प्रमुखों के रूप में, आप सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि आप सभी के सामूहिक हित में काम करें।”
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