Sat. Apr 20th, 2024

    लगातार हो रहे म्यूटेशन के कारण कोरोना वायरस ज्यादा खतरनाक रुख अख्तियार करता जा रहा है। कोरोना की पहली लहर में काफी हद तक सुरक्षित निकलने वाले भारत में कोरोना के दो नए वैरिएंट ने तबाही मचा दी है। इनमें भी भारत में पहली बार देखे गए डबल म्यूटेंट वैरिएंट को ताजा संक्रमण के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। नेशनल सेंटर फार डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के अनुसार चार मई तक देश के 27 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में ब्रिटिश और डबल म्यूटेंट वैरिएंट के पहुंचने की पुष्टि हो चुकी है।

    इंडियन वैरिएंट चिंता की वजह

    डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 टेक्किनकल लीड डॉ मारिया वान केरोखोव का कहना है कि बी.1.167 वायरस शोध का विषय है। उनका कहना है कि ईपीआई टीम और डब्ल्यूएचओ टीम इस वायरस के विषय में लगातार जानकारी जुटा रही है। इस वायरस के संबंध में देश और दुनिया के अलग अलग मुल्कों में शोध जारी है और उन शोधों पर हमारी नजर भी है।

    हमारे वायरस इवोल्यूशन वर्किंग ग्रुप और हमारी एपी टीमों और हमारी लैब टीमों के साथ आंतरिक रूप से परामर्श करके, बी.1.617 की बढ़ी हुई संप्रेषणता का सुझाव देने के लिए कुछ उपलब्ध जानकारी है; जैसा कि हम इसे वैश्विक स्तर पर चिंता का एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत कर रहे हैं।कुछ प्रारंभिक अध्ययनों से प्रदर्शित होने वाली संक्रामकता बढ़ गई हो हमें इस वंश में इस वायरस के प्रकार के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, इसलिए हमें और अधिक लक्षित अनुक्रमण करने की आवश्यकता है, और भारत और अन्य जगहों पर साझा किया जाना चाहिए ताकि हम पता है कि यह वायरस कितना फैल रहा है ।

    घातक रूप में बी.1.617 वैरिएंट

    विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीफ साइंटिस्ट भी इस वेरिएंट पर चिंता जता चुकी हैं। डब्ल्यूएचओ की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था कि भारत में फैल रहा कोविड-19 वेरिएंट काफी संक्रामक है और यह वैक्सीन को भी बेअसर कर सकता है। एएफपी के साथ एक इंटरव्यू में, सौम्या स्वामीनाथन ने चेतावनी दी कि महामारी का यह फीचर जो आज हम भारत में देख रहे हैं, वह संकेत दे रहा है कि यह एक तेजी से फैलने वाला वेरिएंट है। उन्होंने कहा कि भारत में पिछले साल अक्टूबर में वेरिएंट बी.1.617 डिटेक्ट किया गया था।

    सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था कि बी.1.617 एक चिंतित करने वाला वेरिएंट है क्योंकि यह म्यूटेट करता है जिससे ट्रांसमिशन भी बढ़ता है। साथ ही यह वैक्सीन द्वारा या फिर संक्रमण शरीर में बनी एंटीबॉडीज को भी बेअसर कर सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ इसी वेरिएंट को भारत में संक्रमण के बढ़ने और मौतें होने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

    भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डाक्टर के विजय राघवन ने अक्टूबर के बाद पूरी दुनिया में कोरोना की दूसरी लहर के लिए इसी वैरिएंट को जिम्मेदार ठहराया है। पिछले साल जनवरी से लेकर सितंबर तक पूरी दुनिया में हर महीने कोरोना वायरस के दो वैरिएंट रिपोर्ट किए गए। ये वैरिएंट भी काफी हद तक पुराने कोरोना वायरस की तरह ही थे और इनके कारण संक्रमण बढ़ने का खतरा नहीं था। लेकिन सितंबर के अंत में तीन वैरिएंट ऐसे मिले, जो पूरी दुनिया में ¨चता का सबब बन गए। ये वैरिएंट ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और ब्रिटेन में देखे गए, जो इन देशों के साथ-साथ यूरोप और अमेरिका के कई देशों में दूसरी लहर का कारण बने।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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