संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की अध्यक्षता इस दफा फ्रांस को मिलने की सम्भावना है और फ्रांस ने भारत को स्थायी सदस्यता हासिल करने के लिए समर्थन को दोहराया है। उन्होंने कहा कि यूएन के सुधार में यह सुधार की तरफ पहला महत्वपूर्ण भाग है।
ब्राज़ील, जापान और जर्मनी के साथ ही भारत भी लम्बे समय से सुरक्षा परिषद् में सुधार की बात कहता रहा है। भारत इस लिहाज से यूएन में स्थायी सदस्यता का अधिकार हासिल करता है। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद् की बैठक में फ्रांस वीटो का अधिकार प्राप्त सदस्य है।
France reiterates support for India’s permanent seat in reformed UN Security Council: https://t.co/1Y7pWN8Lpm | Not sure how many Indians realise how pro-India France has generally been over the past seven decades in comparison to other OECD countries
— Jaideep A. Prabhu | ג'יידיפ פראבהו (@orsoraggiante) March 4, 2019
सुधार की तरफ पहला कदम
फ्रांस ने भारत, जापान और ब्राज़ील को सुरक्षा परिषद् के विस्तार में स्थायी सदस्यता दिलाने की प्रतिबद्धता को दोहराया है। फ्रांस ने कहा कि “यूएन एक सबसे बड़े अंग को दो भागों में विभाजित किया जायेगा,स्थायी और अस्थायी वर्गों में, जो परिषद् के सुधार की तरफ पहला महत्वपूर्ण कदम होगा।
Today I reiterate our solidarity with India in the fight against all forms of terrorism. France, which assumes the presidency of the United Nations Security Council today, will do everything it can to ensure that the perpetrators of the terrible Pulwama attack are punished. 2/2
— Emmanuel Lenain 🇫🇷🇪🇺 (@FranceinIndia) March 2, 2019
यूएन में फ्रांस के स्थायी प्रतिनिधि फ़रानोइस डेलटरे ने कहा कि “हम सुरक्षा परिषद् का दो वर्गों में विभाजन चाहते हैं, स्थायी और अस्थायी। भारत, ब्राज़ील, जापान और अफ्रीकियों का प्रतिनिधित्व न्यायसंगत होगा और यह पहला महत्वपूर्ण भाग होगा।
उन्होंने कहा कि “फ्रांस का रणनीतिक मकसद यही है और मुझे यकीन है कि जर्मनी की भी यही होगी। जब तक विश्व साझेदारी को नहीं बढ़ाता है, तब तक यूएन को बहुपक्षीय होने की मान्यता नहीं मिलेगी और हमारा ध्यान नागरिक समाज, कारोबार, एनजीओ और व्यापार संगठन के खुलेपन पर होना चाहिए।
यूएन की केन्द्रीयता जरुरी
फ्रांस और जर्मनी ने एक आवाज़ में कहा कि हमने सुधार की जरुरत है, अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो हम सुरक्षा परिषद् की वैधता खो देंगे। मेरे ख्याल से हमें आगे की तरफ बढ़ना चाहिए।” फ्रांस ने कहा कि हालिया समय में आये संकट ने यूएन की केन्द्रीयता को स्पष्ट किया है। विश्व के मौजूदा संतुलन को बरकरार रखने के लिए यूएन को अधिक प्रभावशाली और प्रतिनिधत्व बनाना होगा।
यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबररूद्दीन ने कहा कि “यूएन में सुधार एक प्रक्रिया है बजाये एक समारोह के। 21 वीं शताब्दी में वैश्विक चुनौती दोगुनी हो गयी है। जब हमने प्रक्रिया की शुरुआत की थी, विश्व जो था अब नहीं है।