भारत ने संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों और विकास गतिविधियों में 13.36 मिलियन डॉलर का योगदान करने का संकल्प लिया है। विकास गतिविधियों क लिए आयोजित संयुक्त राष्ट्र संकल्प समारोह में भारत के प्रथम स्थायी सदस्य महेश कुमार ने बताया कि यूएन की स्थापना के बाद से ही भारत निरंतर योगदान करता रहा है और भारत को यकीन है कि यूएन के समक्ष विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त वित्तीय साधन उपलब्ध है।
भारत ने यूएन विकास कार्यक्रम में 4.5 मिलियन डॉलर का योगदान, 5 बिलियन डॉलर का योगदान यूएन के राहत और कार्य एजेंसी और 19.2 मिलियन डॉलर का विश्व खाद्य कार्यक्रम में योगदान करने का संकल्प लिया है।
इस समारोह में 19 देशों ने कुल 425.69 मिलियन डॉलर का योगदान करने का संकल्प लिया है। साल 2017 में यह रकम 398.98 मिलियन डॉलर थी। विभाग के प्रमुख जीना मौन्ला ने कहा कि विकास सम्बंधित गतिविधियों के बजाये मानव सहायता के लिए अनुदान तीव्र गति से एकत्रित हो रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच सालों में मानवतावादी गतिविधियों में 65 फीसदी का इजाफा हुआ है जबकि विकास के लिए अनुदान में मात्र 10 फीसदी वृद्धि हुई है।
इस वर्ष राष्ट्रमंडल खिड़की पर 50 मिलियन डॉलर अतिरिक्त अनुदान दिया गया है। महेश कुमार ने बताया कि यूएन की स्थापना के बाद भारत के साथ अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन और एशिया से 25 सदस्य साझेदार हैं। उन्होंने कहा कि यूएन के 17 लक्ष्यों को भेदने के लिए भारत निरंतर योगदान करता रहा है।
महेश कुमार ने कहा कि 50 बिलियन डॉलर सालाना यूएन को अनुदान किया जाते हैं। इस फंड का 65 प्रतिशत निर्धारित कार्यों के लिए तय होते हैं। नतीजतन तकनीक और विकास के लिए मात्र 25 प्रतिशत ही खर्च किया जाता है।
महेश कुमार ने बताया कि भारत यूएन के सदस्य देशों के साथ विकास प्रणाली में सुधार के लिए बातचीत करेगा। अतिरिक्त अनुदान के लिए फंडिंग का तरीका आसान होना चाहिए।