म्यांमार में सेना के अत्याचारों के कारण एनी देशों में पनाह लेने वाले रोहिंग्या मुस्लिमों की देश वापसी पर म्यांमार में प्रदर्शन किया जा रहा है।
म्यांमार में मुस्लिम समुदाय के निवास इलाके रखाइन में उनकी बांग्लादेश से देश वापसी के खिलाफ आन्दोलन किया जा रहा है। लगभग 100 प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व बौद्ध संत कर रहे थे और राजधानी सिट्टवे से होकर यह प्रदर्शनकारी लाल बैनर लिए और नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे हैं।
एक बौद्ध संत ने कहा कि इस देश का हर एक नागरिक देश की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि इन बंगालियों को स्वीकार करने से हमारे देश और हमारा कोई फायदा नहीं होगा।
बांग्लादेश और म्यांमार की सरकार लगभग दस दिनों बाद मुस्लिम अल्पसंख्यकों की देश वापसी की शुरुआत करने के लिए तैयार थी। रोहिंग्या मुस्लिम अगस्त 2017 में म्यांमार की सेना की दमनकारी नीतियों के कारण भागकर अन्य राष्ट्रों में पनाह ली थी।
ख़बरों के मुताबिक म्यांमार की सेना ने रखाइन में रहने वाली मुस्लिम महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म जैसा घृणित कृत्य किया था, उनके रिश्तेदारों को मार दिया गया और उनके घरों को आगजनी कर दिया था। बांग्लादेश और म्यामार की सरकार के मध्य रोहिंग्या मुस्लिमों की वापसी का समझौता एक वर्ष पूर्व हुआ था। हालांकि रोहिंग्या शरणार्थियों ने बगैर नागरिकता, सुरक्षा और स्वास्थ्य एवं शिक्षा में बराबरी के हक़ के वापस म्यांमार जाने से इनकार कर दिया था।
हालांकि रोहिंग्या मुस्लिम रखाइन प्रांत में रहने वाले गैर मुस्लिमों के व्यवहार से भी भयभीत है जो रोहिंग्या मुस्लिमों की देश वापसी को स्वीकार नहीं करते हैं। बौद्ध प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार अवैध आप्रवासियों को देश में प्रवेश करने पर रोक लगाये और भागे हुए मुस्लिम शरणार्थियों को वापस देश में आगमन की अनुमति न दें।
म्यांमार ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा लगाये अत्याचारों के सभी आरोपों को खारिज किया है और कहा कि वे देश को रोहिंग्या आतंकवादियों से सुरक्षित कर रहे थे।