म्यांमार में हो रहे भीषण अत्याचार का शिकार सैकड़ों हिन्दू भी हुए हैं। म्यांमार से भागकर इन हिन्दुओं ने बांग्लादेश में शरण ली है और अब भारत में रहने देने की मांग कर रहे हैं।
भारत सरकार इस समय रोहिंग्या मुस्लिमों को देश से वापस भेजने की तैयारी कर रही है। इस विषय में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना अभी बाकी है। इसी बीच अब सैकड़ों हिन्दुओं ने मीडिया के जरिये सरकार तक यह सन्देश भिजवाया है कि उन्हें भारत का नागरिकता दी जाये।
2014 में मोदी सरकार बनने के बाद यह आदेश दिया गया था कि यदि बांग्लादेश या पाकिस्तान से कोई अल्पसंख्यक धर्म का व्यक्ति भारत में आता है, तो उसे अवैध शरणार्थी नहीं माना जाना चाहिए। इनमे हिन्दू, सिख, ईसाई शामिल है। इनको भारत में नागरिकता देने के लिए सरकार ने न्यूनतम समय को भी कम करके 6 महीने कर दिया है।
इसी तर्ज पर अब म्यांमार से भागे हुए हिन्दू भी नागरिकता की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार को यह डर है कि धर्मनिरपेक्ष देश की तर्ज पर यदि भारत हिन्दुओं को शरण देता है और मुस्लिमों को वापस भेजता है, तो इसपर प्रतिक्रिया सही नहीं होगी। सरकार को घेर लिया जाएगा। इसी कारण से सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा है।
म्यांमार से भागे एक हिन्दू ने बताया कि 25 अगस्त को सेना के सैकड़ों लोगों ने उनके गाँव पर गोलियों से हमला कर दिया था। इसके बाद इन लोगों ने अपन परिवारों के साथ बांग्लादेश में शरण ली है। इनका कहना है कि वे म्यांमार वापस नहीं जाना चाहते हैं, और ना ही बांग्लादेश में मुस्लिमों के बीच रहना चाहते हैं।
इसपर अब विश्व हिन्दू परिषद् के प्रवक्ता अचिन्त्य बिस्वास ने कहा है कि भारतीय सरकार को इन लोगों को शरण देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ही हिंदुस्तान भी है और यह हिन्दुओं की धरती है। उन्हने कहा कि अगर हिन्दू यहाँ नहीं आएंगे, तो कहा जांयेंगे?
इसपर अब सरकार को फैसला करना है। पहले सरकार ने यह साफ़ किया था कि पाकिस्तान या बांग्लादेश से आने वाले हिन्दुओं को नागरिकता दी जायेगी। लेकिन वर्तमान परिस्थिति अलग हैं। इस समाय देश में कई जगह धर्म के नाम पर राजनीति हो रही है और सरकार को घेरा जा रहा है।
अगर सरकार इन हिन्दुओं को शरण देती है, तो देश में कई जगह बवाल मच जाएगा। असदुद्दीन ओवैसी और ममता बनर्जी जैसे नेता जो आये दिन धर्म के नाम पर लोगों को भड़काते हैं, उन्हें सरकार के खिलाफ बोलने का अधिकार मिल जाएगा।