Sun. Nov 17th, 2024
    तीन तलाक बिल

    मोदी सरकार द्वारा बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किए गए बहुचर्चित तीन तलाक बिल पर मुहर लग गई। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बिल को पेश किया। उन्होंने इस दिन को भारतीय इतिहास का ऐतिहासिक दिन करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार मुस्लिम महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए तीन तलाक बिल को ला रही है। लोकसभा में आंकड़े भाजपा के पक्ष में थे और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी तीन तलाक बिल का समर्थन किया। इस वजह से मोदी सरकार को बिल पास कराने में कोई दिक्कत नहीं हुई।

    अब यह बिल राज्यसभा में पेश होगा जहाँ मोदी सरकार की असली अग्निपरीक्षा होगी। राज्यसभा में आंकड़ें भाजपा के पक्ष में नहीं है। लोकसभा की तरह अगर कांग्रेस राज्यसभा में भी बिल को समर्थन देती है तो यह आसानी से पास हो सकता है। फिर इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा जिनके हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून बन जाएगा। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल के राज्यसभा में भी पास होने की उम्मीद जताई।

    संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में भाजपा भले ही सबसे बड़ा दल हो पर उसके पास पूर्ण बहुमत नहीं है। अगर भाजपा और उसके सहयोगी दलों को मिला भी लें तो बिल पास कराने के लिए सरकार को 35 और सांसदों की जरुरत पड़ेगी। अकेले कांग्रेस के पास राज्यसभा में 57 सांसद हैं। कांग्रेस का समर्थन मिलने पर भाजपा राज्यसभा में भी बिल को आसानी से पास करा सकती है और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा।

    बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश हुए तीन तलाक बिल का समाजवादी पार्टी, आरजेडी, एआईएडीएमके, तृणमूल कांग्रेस, बीजेडी समेत कई विपक्षी दलों ने विरोध किया था। हैदराबाद सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक बिल में सजा के प्रावधान पर आपत्ति जताई थी और इसमें संशोधन की मांग की थी। पर्याप्त समर्थन ना मिलने की वजह से उनका यह प्रस्ताव पास नहीं हो सका। राज्यसभा में भाजपा के पास बिल पास कराने लायक पर्याप्त संख्याबल नहीं है। ऐसे में उसे यहाँ मुश्किलें पेश आ सकती हैं।

    राज्यसभा में कुल 245 सांसद हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए के पास 88 सांसद हैं। प्रमुख विपक्षी दल और राज्यसभा की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के पास 57 सांसदों का संख्याबल है। लोकसभा में तीन तलाक बिल का विरोध करने वाली समाजवादी पार्टी के पास राज्यसभा में 18 सांसदों का बल है वहीं तृणमूल कांग्रेस के पास 12 सांसदों का बल है। राज्यसभा में एआईएडीएमके के सांसदों की संख्या 13 हैं वहीं एनसीपी के पास 5 सांसदों का बल है। राज्यसभा में बीजेडी के 8 सांसद हैं।

    पिछले कुछ वक्त से एनसीपी का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ता हुआ दिख रहा है और ऐसे में बिल पारित कराने में सरकार को समर्थन दे सकती है। हालाँकि इसके बावजूद भी मोदी सरकार को बिल पास कराने के लिए कांग्रेस के समर्थन की जरुरत पड़ेगी। अगर मोदी सरकार यह बिल राज्यसभा में पास कराने में असफल रहती है तो इसे संसदीय समिति के पास समीक्षा के लिए भेजना पड़ेगा। ऐसे में बिल को शीतकालीन सत्र में पास कराना मुमकिन नहीं होगा।

    एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक बिल लोकसभा में पेश होने के बाद इसका विरोध किया था और इसे संविधान के खिलाफ बताया था। ओवैसी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत को गैरकानूनी करार दिया गया है और घरेलू हिंसा के खिलाफ भी कानून मौजूद है। ऐसे में इसी तरह के एक और कानून की क्या जरुरत है।

    असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए तीन तलाक बिल पर 6 संशोधन प्रस्ताव पेश किए जिनमें से केवल 2 को सदन की मंजूरी मिली। हालाँकि सदन में समर्थन नहीं मिलने की वजह से ओवैसी के यह दोनों संशोधन प्रस्ताव भी खारिज हो गए। ओवैसी ने इस बिल को मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ बताया था और कहा था कि बिल का मसौदा तैयार करते वक्त मुस्लिमों से सलाह-मशविरा नहीं लिया गया है। उन्होंने इसे मुस्लिमों की स्वतंत्रता का उल्लंघन कहा था।

    तीन तलाक बिल के लोकसभा में पेश होने और पारित होने के बाद मुस्लिम महिलाएं जश्न मना रही हैं। मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक बिल लोकसभा में पारित होने पर खुशी जताई और मोदी सरकार के समर्थन में रैली निकाली। पीएम मोदी के संसदीय क्ष्रेत्र वाराणसी और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुस्लिम महिलाओं ने जगह-जगह पटाखे भी फोड़े। तीन तलाक मुद्दे पर पक्षधर बनने से पीएम मोदी की लोकप्रियता मुस्लिम महिलाओं में बढ़ गई है।

    बता दें कि मौजूदा शीतकालीन सत्र के शुरू होते तीन तलाक बिल को पेश करने को लेकर भाजपा संसदीय बोर्ड और मोदी मन्त्रिमण्डल की बैठक हुई थी। बीते 15 दिसंबर को मोदी मन्त्रिमण्डल ने बहुप्रतीक्षित तीन तलाक बिल को हरी झंडी दिखा दी थी। इसके साथ ही तीन तलाक पर लोकसभा में विधेयक लाने का रास्ता भी साफ हो गया था। भाजपा शीघ्रातिशीघ्र इस बिल को पास कराना चाहती थी। तीन तलाक बिल संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार के प्रमुख एजेण्डों में शामिल था।

    बता दें कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने बीते 22 अगस्त को तीन तलाक को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार को अगले 6 महीने के भीतर तीन तलाक पर कानून बनाने को कहा था। पीएम नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत शीर्ष भाजपा नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया था और इसे मुस्लिम महिलाओं के हक की लड़ाई की जीत कहा था।

    पीएम मोदी और भाजपा शुरुआत से ही तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं की पक्षधर थी। सार्वजनिक मंचों से लेकर पार्टी कार्यकारिणी की बैठक तक में पीएम मोदी यह मसला उठा चुके थे। तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं की जीत का सेहरा भी भाजपा के सिर बँधा था और मुस्लिम समाज में भाजपा की छवि सुधरी थी।

    22 अगस्त का दिन भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ऐतिहासिक दिन के रूप में दर्ज हो गया था। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ‘तीन तलाक’ पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही सदियों से चली आ रही यह ‘कुप्रथा’ भी समाप्त हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने 3-2 से ‘तीन तलाक’ को ‘असंवैधानिक’ करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने के अंदर केंद्र सरकार से ‘तीन तलाक’ के खिलाफ कानून बनाने को भी कहा था।

    इस फैसले पर खुशी जताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था, “माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तीन तलाक पर दिया गया फैसला ऐतिहासिक है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मुस्लिम महिलाओं को बराबरी का हक मिलेगा और महिला सशक्तिकरण की ओर यह एक बड़ा कदम है।”

    भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी इस फैसले का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को मुस्लिम महिलाओं के पक्ष को विवेकपूर्ण और न्यायपूर्ण तरीके से रखने के लिए धन्यवाद कहा था। तीन तलाक पर रोक लगाने में भाजपा सरकार का अहम योगदान रहा है। भाजपा हमेशा से ही तीन तलाक के खिलाफ खड़ी थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार इस ‘कुप्रथा’ को खत्म करने की बात कर चुके थे।

    भले ही लोग इसे चुनावी पैंतरा कहे पर नरेन्द्र मोदी ने हमेशा ही सार्वजनिक मंचों से इस मसले पर मुस्लिम महिलाओं के हक में बात की थी। शायद यही वजह थी कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा को बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने समर्थन भी दिया था और सियासी समीकरण भाजपा के पक्ष में हो गए थे।

    तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला लाखों महिलाओं के जीवन में खुशियां लेकर आया था। केंद्र की सत्ताधारी मोदी सरकार की सार्थक पहल के बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के हक की आवाज सुनी थी और उनके पक्ष में अपना फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध और अनैतिक करार दिया था और केंद्र सरकार को 6 महीने के भीतर इसपर कानून बनाने को कहा था। फैसले के बाद ही पीएम मोदी ने इस बात के संकेत दे दिए थे कि दिसंबर महीने में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए विधेयक लाएगी।

    नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं ने उनसे ‘तीन तलाक’ खत्म करने की गुजारिश की थी। प्रधानमंत्री मोदी खुद भी इस मुद्दे को कई बार उठा चुके हैं और इस पर अपनी राय दे चुके हैं। चुनाव पूर्व भाजपा ने भी ‘तीन तलाक’ को खत्म करने को कहा था। केंद्र की मोदी सरकार इस मुद्दे पर अपने रुख को लेकर शुरू से स्पष्ट थी और वह ‘तीन तलाक’ खत्म करना चाहती थी। भाजपा की भुवनेश्वर में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि “मुस्लिम बहनें ‘तीन तलाक’ की वजह से तकलीफ में हैं। उनके साथ इन्साफ होना चाहिए। भाजपा इस मुद्दे पर एकमत है और वह तीन तलाक को खत्म करना चाहती है।”

    इस कुप्रथा के विरुद्ध जारी हक की लड़ाई में साथ देने के लिए मोदी-योगी को मुस्लिम बहनों का भरपूर समर्थन और प्यार मिला था। अपने हक की आवाज उठाने के लिए मुस्लिम बहनों ने मोदी और योगी को रक्षाबंधन पर अनूठी सौगात दी थी। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुस्लिम महिलाओं ने मोदी और योगी की तस्वीर के साथ रैली निकाली थी और तस्वीरों को राखी भी बाँधी थी। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय पर भी बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाओं द्वारा भेजी गई राखियाँ मिलने की खबर आई थी।

    एक नजर डालते हैं मोदी सरकार द्वारा तैयार किए गए तीन तलाक बिल पर :

    तीन तलाक बिल के बारे में कुछ अहम बातें :

    • गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बनी समिति ने तीन तलाक बिल का मसौदा तैयार किया है।
    • इस समिति में वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्यमंत्री पी पी चौधरी शामिल थे।
    • समिति द्वारा तैयार कानून तीन तलाक या ‘तलाक-ए-बिद्दत’ की दशा में लागू होगा।
    • यह कानून पीड़िता को अपने तथा नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से गुहार लगाने का अधिकार देगा।
    • इस कानून के तहत पीड़ित महिला अपने नाबालिग बच्चों के संरक्षण की भी गुहार लगा सकती है जिस पर अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट का होगा।
    • इस कानून के अनुसार, किसी भी तरह का तीन तलाक फिर चाहे वह लिखित हो, मौखिक हो या सोशल मीडिया (ई-मेल, व्हाट्सएप्प) के माध्यम से हो, गैरकानूनी माना जाएगा।
    • इस कानून के अनुसार, एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी होगा और इसकी मान्यता नहीं होगी। यह गैर जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा और अपराधी को 3 वर्ष तक का कारावास हो सकता है।
    • तीन तलाक पर सरकार द्वारा बनाया गया कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश के अन्य सभी राज्यों में लागू होगा।
    • तलाक और विवाह ऐसे विषय हैं जो भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में आते है। सरकार इन पर आपातकाल में भी कानून बनाने में सक्षम है।
    • सरकारिया आयोग की सिफारिशों को मद्देनजर रखते हुए मोदी सरकार ने तीन तलाक पर कानून बनाने से पहले राज्य सरकारों से भी विचार-विमर्श किया है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।