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    मोदी कैबिनेट

    जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन्त्रिमण्डल विस्तार की घोषणा हुई है अटकलों का बाजार गर्म होता जा रहा है। कैबिनेट में शामिल होने वाले चेहरों को लेकर रोज नई-नई बातें हो रही हैं और सियासी महकमों में हलचल मची हुई है। अभी तक मोदी मन्त्रिमण्डल के 6 मंत्री अपना इस्तीफ़ा सौंप चुके हैं जिनमें कौशल विकास मंत्री राजीव प्रताप रूडी, सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग मंत्री कलराज मिश्र, श्रम और रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, जल संसाधन और गंगा पुनरुद्धार राज्य मंत्री संजीव बलियान और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री महेंद्र नाथ पाण्डेय के नाम शामिल है। खबर आ रही है कि जल संसाधन और गंगा पुनरुद्धार मंत्री उमा भारती ने भी इस्तीफे की पेशकश की है। उनके अतिरिक्त रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने भी इस्तीफे की पेशकश की थी पर प्रधानमंत्री ने उन्हें इंतजार करने को कहा था।

    आरएसएस की बैठक में भाग लेने वृन्दावन पहुँचे शाह

    भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आरएसएस की बैठक में हिस्सा लेने के लिए श्रीधाम वृन्दावन पहुँच चुके हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में आरएसएस पदाधिकारियों से मन्त्रिमण्डल में शामिल किए जाने वाले नए चेहरों को लेकर विचार-विमर्श होगा। मोदी सरकार ही नहीं वरन पूरे देश में इस समय सभी शीर्ष पदों पर संघ के स्वयंसेवक काबिज है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किए गए डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय भी संघी रहे हैं। ऐसे में मुमकिन है कि भाजपा की तरफ से कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले चेहरों में संघ की पृष्ठभूमि वाले नेताओं की किस्मत चमक जाए।

    अमित शाह
    अमित शाह

    राजनाथ सिंह के आवास पर वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक

    शुक्रवार, 1 अगस्त को मोदी कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों की गृह मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर बैठक हुई। इस बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली, भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ शामिल हुए। इस बैठक के बाद पार्टी नेताओं ने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है लेकिन सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चा है। माना जा रहा है कि इस बैठक में मंत्रियों के विभागों में फेरबदल को लेकर चर्चा हुई वहीं सूत्रों की माने तो नए चेहरों को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक के एक दिन पूर्व अरुण जेटली ने कहा था कि उम्मीद है ज्यादा दिन तक उन्हें रक्षा मंत्रालय का प्रभार नहीं संभालना पड़ेगा। ऐसे में इन कयासों को बल मिल रहा है कि मोदी सरकार इस मन्त्रिमण्डल विस्तार में देश को एक नया रक्षा मंत्री दे सकती है।

    राजनाथ सिंह
    राजनाथ सिंह

    कई मंत्रियों के बदलेंगे मंत्रालय, प्रभु को मिल सकता है मौका

    इस मन्त्रिमण्डल विस्तार में कई मंत्रियों के मंत्रालय बदलने की उम्मीद है। बिहार से सत्ताधारी दल जेडीयू एनडीए में नई सहयोगी बनी है और इसके 2 सांसदों को मोदी मन्त्रिमण्डल में जगह मिलने की उम्मीद है। ऐसे में मौजूदा मन्त्रिमण्डल में बिहार का प्रतिनिधित्व कम किए जाने की उम्मीद थी। बिहार से आने वाले राजीव प्रताप रूडी इस्तीफ़ा दे चुके हैं वहीं कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का मंत्रालय बदला जा सकता है। गिरिराज सिंह को पार्टी संगठन में भेज सकती है। इसके अतिरिक्त महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गाँधी का मंत्रालय भी बदले जाने की संभावना है। रेल दुर्घटनाओं के बाद इस्तीफे की पेशकश करने वाले रेल मंत्री सुरेश प्रभु को एक और मौका मिल सकता है और उन्हें पर्यावरण मंत्रालय का कार्यभार सौंपा जा सकता है।

    सुरेश प्रभु
    सुरेश प्रभु

    पूर्वोत्तर के राज्यों से जुड़ेंगे कई मंत्री

    हाल ही में भाजपा ने पूर्वोत्तर के राज्यों मणिपुर, असम और अरुणाचल में सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाई है और इस कैबिनेट विस्तार में इन राज्यों से कुछ प्रतिनिधि भी जुड़ सकते हैं। मोदी सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों से राज्यस्तरीय नेताओं को उठाकर राज्यसभा सदस्य बनाकर मंत्री पद देने की फ़िराक में है। भाजपा पूर्वोत्तर में मिल रहे इन स्वर्णिम अवसरों को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कैबिनेट में भी सम्पूर्ण भारत के राज्यों की सहभागिता रही थी और वह इसे आगे भी बरकरार रखना चाहेंगे। सरकार ने अभी तक मन्त्रिमण्डल में क्षेत्रवादी रवैया नहीं अपनाया है और उम्मीद है वह आगे भी इसी पर अमल करेगी।

    गैर हिंदी भाषी राज्यों की सीटों पर नजर

    अब इस बात में कोई दो राय नहीं है कि हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा का कोई तोड़ नहीं है। देश के 9 प्रमुख हिंदी भाषी राज्यों में से 8 में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है और बिहार में भाजपा-जेडीयू गठबंधन सरकार है। ऐसे में इन राज्यों में भाजपा को चिंता करने की कोई खास जरुरत नहीं है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह स्पष्ट कह चुके हैं कि पार्टी कार्यकर्ताओं का अगला लक्ष्य 2019 लोकसभा चुनावों में 350+ सीटें जीतने का होना चाहिए। इसके लिए भाजपा अपने आधार क्षेत्रों से परे गैर हिंदी भाषी राज्यों पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और केरल को मिलाकर होने वाली 150 सीटों में से भाजपा 120 सीटें हासिल करने के लक्ष्य के साथ चल रही है। मन्त्रिमण्डल विस्तार में इसका प्रत्यक्ष असर देखने को मिल सकता है।

    धर्मेंद्र प्रधान खिलाएंगे उड़ीसा में कमल

    मोदी कैबिनेट में पेट्रोलियम मंत्री का कार्यभार सम्भालने वाले धर्मेंद्र प्रधान उड़ीसा से ताल्लुक रखते हैं। स्थानीय स्तर पर भी उड़ीसा के पार्टी संगठन में धर्मेंद्र प्रधान की अच्छी पकड़ है। उड़ीसा में भी विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। ऐसे में भाजपा धर्मेंद्र प्रधान को बड़ी भूमिका देकर उड़ीसा के मतदाताओं को साधने का प्रयास करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्मेंद्र प्रधान के कार्यकाल में हुए कामों से खुश हैं और वह उन्हें प्रमोट कर सकते हैं। धर्मेंद्र प्रधान को बड़ी भूमिका देने से उड़ीसा के वोटरों में मजबूत सन्देश जाएगा और स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं को भी मजबूत आधार मिलेगा।

    धर्मेंद्र प्रधान
    धर्मेंद्र प्रधान खिलाएंगे उड़ीसा में कमल

    तमिलनाडु-कर्नाटक की होगी एंट्री

    मोदी मन्त्रिमण्डल के विस्तार के बाद इसमें दक्षिण भारत का तड़का लगने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके शीघ्र ही एनडीए में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर सकता है। एआईएडीएमके दक्षिण भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है और संसद के दोनों सदनों को मिलाकर इसके 50 सांसद हैं। यह सदन में भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। माना जा रहा है कि एआईएडीएमके के 3-4 सांसदों को मोदी मन्त्रिमण्डल में जगह मिल सकती है। भाजपा काफी अरसे से तमिलनाडु में जमीन तलाश रही है और इस खोज में यह कदम मील का पत्थर साबित होगा।

    आगामी वर्ष कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया हिंदी-कन्नड़ विवाद और राज्य के लिए अलग झंडे की मांग कर इसे क्षेत्रीयता का रूप दे चुके हैं। भाजपा राज्य में अपना पक्ष मजबूत करने के लिए कर्नाटक से किसी सांसद को कैबिनेट में जगह दे सकती है और किसी नए चेहरे को भी ला सकती है। कर्नाटक का नेतृत्व करने वाले अनंत कुमार को प्रमोट कर बड़ी जिम्मेदारी दी सकती है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।