चुनावों का समय आते ही तमाम राजनैतिक दल रैलियाँ एवं जन सम्मेलनों द्वारा जनता को संबोधित कर उनके लिए तरह तरह लोक लुभावने वायदे पूरे करने का दम भरते हैं।
परन्तु इसके साथ-साथ मतों का ध्रुवीकरण करने के लिए तमाम दल शुरू करते हैं “जात-धर्म” की राजनीति, जिससे सब दल एक दूसरे पर लांछन लगा उसके वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश करते हैं।
“हिन्दू मुसलमान” की राजनीति तो हमारे देश में बहुत पहले से हो रही हैं। और हाल ही में हमारे देश के प्रधान मंत्री ने आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का शिलान्यास करते हुए जनता को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर कटाक्ष किया।
उन्होंने कहा कि “‘मैंने अखबार में पढ़ा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा हैं कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी हैं। लेकिन मैं कांग्रेस अध्यक्ष से यह पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी हैं… ये तो बताइए मुसलमानों की पार्टी भी क्या पुरुषों की हैं या महिलाओं की भी हैं। क्या मुस्लिम महिलाओं के गौरव के लिए जगह हैं…? संसद में कानून लाने से रोकते हैं, संसद चलने नहीं देते हैं।
हाल ही में भाजपा द्वारा संसद में “तीन तलाक” को लेकर एक कानून पारित किया गया। जिसको लेकर विपक्ष ने खूब विवाद एवं संसद में उत्पात मचाया।
बता दे कि सरकार के इस कानून का बड़े बड़े मुस्लिम नेता एवं मौलवियों ने भी बहिष्कार किया था परन्तु कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने इस चीज़ का स्वागत भी किया था। मोदी ने इस्लामिक देशों का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया के इस्लामिक राष्ट्रों में भी तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगी हुई हैं।
बहरहाल दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल ने प्रधान मंत्री पर निशाना लगते हुए कहा कि क्या हिन्दू-मुसलमान पर बात करने से हमारा देश नंबर 1 बन जाएगा। उन्होंने सरकार को धर्म कि राजनीति ना करने एवं मुद्दों कि राजनीति करने कि नसीहत दी।