सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्तों से मेघालय की खदानों में फंसे 15 आदमियों के बचाव कार्य के लिए राज्य सरकार के प्रति निराशा जताई है। याचिका की सुनवाई करते हुए उन्होंने सवाल उठाया है कि 13 दिसम्बर से फंसे इन लोगों की मदद करने में क्यों राज्य सरकार अभी तक सफल नहीं हो सकी।
उनके मुताबिक, “हम बचाव कार्य से संतुष्ट नहीं है। भले ही वो सब मृत हो, कुछ जीवित हो, कुछ मृत हो या सभी जीवित हो, सब को बाहर निकालना जरूरी है। हम भगवान से दुआ करते हैं कि वे सब जीवित हो।”
मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स में 320 फुट गहरे खदान में फंसे 15 लोगों को बचाने के लिए शुरू किये गए बचाव कार्य में बहुत कम प्रगति देखने के लिए मिली है। एनडीआरएफ, नौसेना और अग्निशमन दल की कई टीमें खदानों तक पहुँचने की कोशिश कर रही हैं।
अधिकारियों ने कहा कि नौसेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के गोताखोर 370 फुट गहरी खदान के नीचे नहीं जा सकते हैं।
हालाकि एनडीआरएफ ने इन रिपोर्ट का खंडन कर दिया है जिसमे ये कहा गया था कि फंसे हुए आदमी मर चुके हैं क्योंकि जब उनके गोताखोर खदान के अन्दर गए थे तो उन्हें मृत शरीर की बदबू का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बताया कि खदान में पानी की बदबू के कारण दुर्गंध आ सकती है क्योंकि पंपिंग 48 घंटे से अधिक समय से रुकी हुई थी।
उन्होंने बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड के एक उच्च क्षमता वाले सबमर्सिबल पंप को आज खदान में डाल दिया जाएगा, जबकि ओडिशा फायर और डिजास्टर सेवा से अधिक पंपों को अधिक परित्यक्त खानों में कार्रवाई के लिए इस्तेमाल करना है। अग्रणी पंप निर्माता, किर्लोस्कर ब्रदर्स भी पानी निकालने के लिए चार विशेष उच्च क्षमता वाले पंपों के साथ इस कार्य में शामिल हो गए हैं।
एक वकील द्वारा दायर की गयी याचिका में, केंद्र और राज्य से सेना, नौसेना और वायु सेना की मदद से 15 खनिकों को बचाने की माँग की गयी है। इस याचिका में, केंद्र और बाकी अधिकारियों से मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के लिए कहा गया है जो खदानों में या ऐसी ही समान अवस्था में फंसे लोगों के बचाव कार्य का काम करेगा।
मेघालय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने बचाव कार्य में कई पर्याप्त कदम उठाये हैं और केंद्र की तरफ से भी उन्हें पूरा सहयोग मिल रहा है।