मेघालय की एक कोयला खदान में 33 दिन से फंसे 15 खनिकों में से एक खनिक के शरीर को नौसेना गोताखोरों ने गुरुवार को आखिरकार देख ही लिया। वे खदान के टॉप तक उस शरीर को लेकर आये और अब जल्द डॉक्टर के पास लेकर जाएंगे।
नौसेना गोताखोर शरीर को पानी के भीतर दूर से संचालित वाहन की मदद से देख पाए। दिलचस्प बात ये है कि 350 फ़ीट गहरी खदान में पानी का स्तर अभी भी वैसा ही बना हुआ है, जैसे पहले था। जबकि उच्च क्षमता वाले पम्पों का इस्तेमाल कई लीटर पानी बाहर निकालने के लिए किया गया था। ओडिशा फायर रेस्क्यू टीम द्वारा दस 63 हॉर्सपावर के पंप लाए गए थे जिन्हें बहुत मुश्किल से चालू किया गया था। भारतीय नौसेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला UWROV भी कई बार खदान के अंदर फंस गया था।
ये घटना 13 दिसंबर, 2018 वाले दिन हुई थी जब मजदूरों का एक समूह खदान के अंदर गया था। उन्हें खतरे की आशंका भी नहीं थी। जबकि चार तो बच कर आ गए मगर 15 अंदर ही नदी के पानी भरने के कारण फंसे रह गए।
एनडीआरएफ ने एसडीआरएफ और नागरिक प्रशासन के साथ घटना के अगले ही दिन बचाव कार्य शरू कर दिया था। मगर कार्य के लिए जरूरी पंप और बाकि चीज़े कुछ दिनों बाद ही काम पर लग पाई।