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मेक इन इंडिया

भाजपा के एजेंडे में सबसे ऊपर व प्रधानमंत्री के लिए सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ अब देश में व्याप्त बेरोजगारी की समस्या को हल करने का साधन बनती हुई दिख रही है।

यूं तो मेक इन इंडिया के तहत देश में करोड़ों नौकरियों के सामने आने की उम्मीद है, लेकिन इसमें स्मार्टफोन सेक्टर सबसे बड़ा हाथ बढ़ाता हुआ दिख रहा है।

देश में अभी हाल ही में स्मार्टफोन के उत्पादन को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। विश्व की सबसे बड़ी स्मार्टफोन व इलेक्ट्रिक उत्पाद निर्माता कंपनी सैमसंग ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के नोएडा में विश्व की सबसे बड़ी स्मार्टफोन उत्पादक फैक्ट्री लगाने का निर्णय लिया है।

वहीं सैमसंग जैसी बड़ी कंपनियों के अलावा देश की ‘लावा’ जैसी छोटी कंपनियाँ भी अब अपनी कमर कसती हुई दिख रहीं है। लावा जहां 2 साल पहले तक चीन से सस्ते फोन का आयात करती थी, वहीं अब लावा अपने फोनों का उत्पादन देश में ही शुरू कर चुकी है।

रायटर्स के मुताबिक दिल्ली के पास के इलाके में स्थित लावा की इस फैक्ट्री में करीब 3,500 लोग काम कर रहे हैं।

मेक इन इंडिया के तहत देश में एक ओर जहां करोड़ों नौकरियाँ निकल कर सामने आने की संभावना है, वहीं दूसरी ओर मेक इन इंडिया के तहत देश अब पूरे विश्व की नज़रों में भी आ रहा है।

मालूम हो कि देश में पिछले 4 सालों में करीब 120 नयी स्मार्टफोन उत्पादक यूनिटों की स्थापना हुई है, जिसके तहत करीब 4 लाख 50 हज़ार लोगों को नौकरियाँ भी उपलब्ध हुई हैं।

फाइनेंसियल एक्सप्रेस के मुताबिक, नोकिया भी अब अपने 5जी प्रोग्राम के तहत भारत में बेस स्थापित कर रही है।

इस तरह से देश के भीतर मोबाइल फोन उत्पादन यूनिट लगने से देश को अतिरिक्त कर मिल सकेगा, देश में युवाओं को नौकरी के अधिक अवसर मिल सकेंगे, वहीं इसी के साथ यहाँ बनने वाले मोबाइल पर अतिरिक्त आयात कर नहीं लगाना होगा, जिसके चलते ये मोबाइल भी अपेक्षाकृत सस्ते में मिल जाएंगे।

लावा के उत्पादन प्रमुख संजीव अग्रवाल ने कहा है कि “देश के भीतर मोबाइल फोन उत्पादन होने से फोन की लागत में भी कमी आ रही है, ऐसे में बेहतर क्वालिटी का एक स्मार्टफोन 150 डॉलर प्रति यूनिट से भी कम दामों में बन कर तैयार हो रहा है।”

इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक लावा के बाद जल्द ही चीनी कंपनी ओप्पो भी भारत में अपनी पहली निर्माण फैक्ट्री डाल सकती है।

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