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    नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ

    2019 लोकसभा चुनावों के लिए सियासी बिछात बिछ चुकी है। सत्ताधारी दल भाजपा समेत सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी चल चल रहे हैं। कई मौकों पर विपक्ष के महागठबंधन की झलक देखने को मिली है और भाजपा इसे लेकर सतर्क होती जा रही है। विकास को मुख्य मुद्दा बनाने के साथ-साथ भाजपा अपना परम्परागत हिंदुत्व कार्ड खेल रही है। इसकी कमान देश में हिंदुत्व के सबसे लोकप्रिय चेहरे और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों में हैं। योगी आदित्यनाथ पिछले कुछ समय से राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय नजर आ रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा केरल में हो रही राजनीतिक हत्याओं के विरोध में शुरू की गई जनरक्षा यात्रा में योगी आदित्यनाथ शामिल हुए थे और उन्हें अपार जनसमर्थन मिला था वहीं गुजरात गौरव यात्रा के दौरान वह 2 दिनों तक गुजरात में रहे।

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    आर्थिक मोर्चे पर विफल होती नीतियों की वजह से देशभर में मोदी सरकार की आलोचना हो रही थी और अपनी ही पार्टी में सरकार विरोधी सुर उठने लगे थे। मोदी सरकार द्वारा उठाए गए आर्थिक सुधार के कदम दूरदर्शी परिणाम वाले है और भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगे। सरकार लोगों को इसका यकीन दिलाने में विफल रही है। इस वजह से कहीं ना कहीं मोदी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्य दब से गए हैं। ऐसे में भाजपा वापस अपनी हिंदुत्व विचारधारा की और लौटती दिख रही है। इसकी कमान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथ में हैं। योगी आदित्यनाथ एक ओर मोदी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों का गुणगान करे रहे हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा को राष्ट्रीय पहचान देने वाले ‘राम’ नाम का सहारा भी ले रहे हैं। अयोध्या को ‘राम’मय कर योगी मोदी की सियासी राह बनाने में जुटे हैं।

    हिंदुत्व होगा मोदी का ट्रंपकार्ड

    उत्तर प्रदेश की सत्ता सँभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने एक के बाद एक कई ऐतिहासिक फैसले लिए। उनके द्वारा लिए गए फैसलों में हिंदुत्व की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। तकरीबन 80 फीसदी हिन्दू आबादी वाले देश में हिंदुत्व के मुद्दे को आधार बनाकर भाजपा पिछले 3 दशक से राजनीति कर रही है। 90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे को आधार बनाकर भाजपा सत्ता में आई थी और अब सत्ता में काबिज रहने के लिए भाजपा राम का सहारा ले रही है। देश की राजनीति पिछले 3 दशकों से राम मंदिर के इर्द-गिर्द घूम रही है और विकास हमेशा ही दूसरा मुद्दा रहा है। योगी आदित्यनाथ रामनगरी अयोध्या का स्वरुप बदलकर यह साबित में जुटे हुए हैं कि विकास के कण-कण में ‘राम’ हैं और हिंदुत्व का विकास देश का विकास है। सबकी निगाहें इस ओर टिकी हैं कि क्या हिंदुत्व नरेंद्र मोदी का ट्रंपकार्ड साबित होगा?

    खास होगी अयोध्या की दीवाली

    इस साल अयोध्या की दीवाली बहुत खास होगी। योगी सरकार अयोध्यावासियों की दीवाली जगमग करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। योगी आदित्यनाथ का हिंदुत्व से लगाव जगजाहिर है और उनके फैसलों में इसकी स्पष्ट झलक देखने को मिलती है। योगी आदित्यनाथ का राम से लगाव किसी से छुपा नहीं है और शायद यही वजह है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी 4 बार अयोध्या आ चुके हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के पहले बजट में अयोध्या को पर्यटन के नक्शे पर उभारने के लिए 350 करोड़ रुपए के बजट की घोषणा हुई थी। आज छोटी दीवाली के अवसर पर अयोध्या को त्रेता युग की तरह सजाया जाएगा और योगी आदित्यनाथ अयोध्यावासियों संग दीवाली मनाएंगे। अयोध्या के विकास और सुंदरीकरण के लिए योगी आज 135 करोड़ की योजनाओं की शुरुआत करेंगे। भारत सरकार का पर्यटन विभाग इसकी मंजूरी दे चुका है।

    अयोध्या में होने वाले विकास कार्यों में 7.24 करोड़ की लागत से रामकथा गैलरी और पार्क का निर्माण कार्य होगा। पार्किंग सुविधा, गलियों का निर्माण, बॉउंड्री वाल निर्माण, पत्थर के बेंच, सोलर लाइट और फुट ओवर ब्रिज का निर्माण भी विकास कार्यों में शामिल है। इसके अतिरिक्त 12.07 करोड़ की लागत से पुराने बस स्टैंड के निकट पार्किंग का निर्माण होगा और साकेत पेट्रोल पंप के पास नया बस डिपो बनेगा। अयोध्या स्थित दिगंबर अखाड़ा के निकट बहुउद्देशीय हॉल का निर्माण, पार्किंग और शौचालय निर्माण, पंचमुखी परिक्रमा के पास पर्यटक आवास निर्माण इसमें शामिल है। योगी आदित्यनाथ राम नाम का सहारा लेकर देशभर के हिन्दुओं को भाजपा के पक्ष में लामबंद करने में जुटे हुए हैं और यह नरेंद्र मोदी के लिए 2019 की राह आसान करेगा।

    राम प्रतिमा बनेगी अयोध्या की पहचान

    योगी आदित्यनाथ ने अपने पिछले अयोध्या दौरे पर यह ऐलान किया था कि अयोध्या में सरयू नदी के तट पर भगवान राम की 100 मीटर ऊँची प्रतिमा स्थापित की जाएगी। योगी सरकार अयोध्या में सरयू तट पर राम की पौड़ी में भगवन राम की 100 मीटर ऊँची प्रतिमा स्थापित कराने के साथ-साथ घाट का सौंदर्यीकरण, रेलिंग निर्माण, पेयजल उपलब्धता, बेंच निर्माण, सोलर लाइट और कचरा प्रबंधन की व्यवस्था भी करेगी। इसके अतिरिक्त अयोध्या रेलवे स्टेशन का विकास और सौंदर्यीकरण, गुप्तचर घाट, लक्ष्मण किला घाट का भी सौनदर्यीकरण किया जाएगा। दशरथ भवन, हनुमान गढ़ी, कनक भवन और चौक रोड का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा। अयोध्या की ड्रेनेज और विद्युत व्यवस्था में भी सुधार किया जाएगा और सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए जाएंगे। सीसीटीवी कैमरों, पुलिस बूथ और वॉच टावर के माध्यम से सुरक्षा व्यवस्था चौकस होगी।

    रोशन होंगी गलियां, चमकेंगी सड़कें

    मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने पहले अयोध्या दौरे पर ही योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के लिए खजाने का पिटारा खोल दिया था। उन्होंने कहा था कि पूर्ववर्ती सरकारों ने हमेशा ही अयोध्या की उपेक्षा की है पर अब ऐसा नहीं होगा। अयोध्या की गलियों को रोशन करने के लिए उन्होंने सोलर एलईडी लाइट्स लगाने की घोषणा की थी। अयोध्या में सड़क निर्माण के लिए उन्होंने 50 करोड़ का अतिरिक्त बजट देने की घोषणा की थी। उन्होंने अयोध्या के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए 350 करोड़ रुपए के बजट की घोषणा की थी। इसके अतिरिक्त अयोध्या में चौबीसों घंटे बिजली, राम जानकी मार्ग का नवनिर्माण और वाराणसी की गंगा आरती के तर्ज पर दैनिक सरयू आरती की घोषणा हुई थी। योगी ने अयोध्या में 5 कोसी, 14 कोसी और 85 कोसी परिक्रमा शुरू कराने का भी वादा किया था। उन्होंने सरयू घाटों के विशेष रख-रखाव का भी निर्देश दिया था।

    योगी का प्रयास, अविरल सरयू ‘राम’ विकास

    योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या से होकर बहने वाली सरयू नदी को स्वच्छ बनाने के लिए अधिकारियों से जरुरी कदम उठाने को कहा था। सरयू को स्वच्छ बनाने के लिए फैजाबाद में सरयू में गिरने वाले नालों को रोक दिया गया है और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की जा रही है। राम की पौड़ी पर हर वक्त पानी की उपलब्धता को लेकर भी योगी सरकार ने कदम उठाए हैं। योगी सरकार ने राम के नाम पर प्रदेशभर में कई विकास योजनाएं शुरू की हैं। अगर सिर्फ अयोध्या की बात करें तो इस सूची में रामायण सर्किट, राम म्यूजियम और अविरल रामायण शामिल है। अयोध्या, चित्रकूट और ऋंगवेरपुर को मिलाकर रामायण सर्किट बनाने के लिए 224 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं। इस राशि का उपयोग घाटों, मंदिरों और पर्यटन स्थलों को आधुनिक शक्ल देते हुए त्रेताकालीन स्वरुप में प्रस्तुत करने के लिए किया जाएगा।

    केंद्र सरकार द्वारा अयोध्या में प्रस्तावित राम म्यूजियम के लिए योगी सरकार ने जमीन उपलब्ध करा दी है और शीघ्र ही इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार के शासनकाल में अयोध्या में चलने वाली अविरल रामायण पर रोक लगा दी गई थी जिसे योगी सरकार ने पुनः शुरू करा दिया है। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में ‘राम’राज के सहारे देशभर के हिन्दुओं को लुभाने में जुटे हैं और 2019 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा की सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं।

    उत्तर प्रदेश में क्लीन स्वीप पर हैं भाजपा की निगाहें

    देश की राजनीति का केंद्र कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को केंद्र का सत्ताधारी दल बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 73 सीटें हाथ लगी थी। भाजपा के बहुमत मिलने में उत्तर प्रदेश की बड़ी भूमिका रही थी और इस बात से भाजपा आलाकमान अच्छी तरह वाकिफ हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए अमित शाह और नरेंद्र मोदी आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों में अभी से जुट गए हैं। इसी वर्ष उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को प्रचण्ड बहुमत मिला था और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनी थी। सपा और कांग्रेस साथ आकर भी भाजपा के सामने नहीं टिक सकी थी। सूबे की एक अन्य प्रमुख पार्टी बसपा भी हाशिए पर रही थी।

    भाजपा की नजरें अब उन 7 सीटों पर है जिसे भाजपा 2014 के लोकसभा चुनावों में नहीं जीत सकी थी। इनमें अमेठी (राहुल गाँधी), रायबरेली (सोनिया गाँधी), आजमगढ़ (मुलायम सिंह यादव), कन्नौज (डिंपल यादव), बदायूं (धर्मेंद्र यादव), मैनपुरी (तेज प्रताप यादव) और फिरोजाबाद (अक्षय यादव) शामिल हैं। यह सभी सीटें सपा और कांग्रेस परिवार ने जीती थी। अमेठी और रायबरेली कांग्रेस का गढ़ रहा है वहीं मैनपुरी, कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद, आजमगढ़ में सपा की अच्छी पकड़ मानी जाती है। इन सभी सीटों पर भाजपा को 2009 के मुकाबले अधिक मत मिले थे और यही वजह है कि भाजपा अब उत्तर प्रदेश में क्लीन स्वीप की तरफ कदम बढ़ा रही है। अगर सपा, कांग्रेस और बसपा के मतों को मिला भी दें तो वह कहीं भाजपा के आगे खड़ी नजर नहीं आती हैं। ऐसे में भाजपा हिंदुत्व कार्ड खेल अपना पक्ष और मजबूत करना चाहती है।

    व्यापक होगा असर

    योगी आदित्यनाथ को मोहरा बनाकर भाजपा ने अपना परम्परागत हिंदुत्व कार्ड खेला है। देश की सियासत पर इसका असर व्यापक होगा। हिंदुत्व राजनीति से प्रभावित होने वाले राज्यों में देश के 10 मुख्य हिन्दीभाषी राज्य शामिल हैं। इन 10 राज्यों को मिलाकर कुल 288 लोकसभा सीटें हैं जो देश की कुल सीटों के आधे से अधिक है। यह 10 राज्य भाजपा के कोर वोटबैंक क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। संयोगवश इन सभी राज्यों में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सरकार है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 2019 लोकसभा चुनावों में 350+ सीटें जीतने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और इस सफर में उनका पहला पड़ाव हिन्दीभाषी राज्य है। इन 10 राज्यों में भाजपा की लोकप्रियता 2019 लोकसभा चुनावों में उसका सियासी भविष्य तय करेगी। भाजपा आलाकमान इस बात को बखूबी समझता है और इसी वजह से वह हरसंभव तरीके से लोगों को अपने पक्ष में करने में जुटा है।

    गुजरात में योगी आदित्यनाथ को चुनावी प्रचार में उतारकर भाजपा राज्य के हिन्दू वोटरों का ध्रुवीकरण करने के प्रयास में हैं। देश में हालिया संपन्न उपचुनावों में मिली जीत से कांग्रेस और उसके समर्थक दलों का उत्साह बढ़ा हुआ है और कांग्रेस गुजरात में पूरा जोर लगा रही है। कांग्रेस अगर गुजरात में जीत हासिल कर ले तो 2019 लोकसभा चुनावों में उसे कई अन्य दलों का भी साथ मिल जाएगा और ऐसे में भाजपा की सत्ता वापसी मुश्किल हो सकती है। इससे बचने के भाजपा अग्रिम बचाव की रणनीति अपना रही है और हिंदुत्व का मुद्दा उठाकर कांग्रेस को हराने में जुटी हुई है। गुजरात चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है वहीं कांग्रेस के लिए यह वजूद बचाने की लड़ाई है। योगी आदित्यनाथ को आगे कर भाजपा 2019 लोकसभा चुनावों की पृष्ठभूमि तैयार करने में जुटी है और काफी हद तक इसमें सफल होती दिख रही है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।