2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों में सभी दल अभी से जुट गए हैं। भाजपा ने जिस चुनावी रणनीति के तहत 2014 के चुनावों में विजय पताका लहराई थी अन्य दल भी अब उसी राह पर चल रहे हैं। केंद्र में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और दिल्ली के सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार से टक्कर लेने के लिए राजनीतिक और रणनीतिक विशेषज्ञों की रिसर्च टीम बनाई है। इन दलों का अभी से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। इन रिसर्च टीमों का मुख्य कार्य नरेंद्र मोदी की योजनाओं की जमीनी हकीकत जनता के सामने लाकर मोदी सरकार को बेनकाब करना है। साथ ही यह टीमें अपने नेताओं को रैलियों के लिए आंकड़ें और तथ्य उपलब्ध कराने का भी काम करेंगी।
मनमोहन सिंह की देखरेख में चल रही कांग्रेस की तैयारी
कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के 2 साल पहले से ही पूर्व प्रधानमंत्री और जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस के रिसर्च पैनल ने अर्थशास्त्रियों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाशास्त्रियों, ब्यूरोक्रेट्स और पूर्व थिंक टैंक रिसर्चर्स से बातचीत कर बड़े पैमाने पर आंकड़े इकट्ठे किए थे और इन आंकड़ों को लेकर “रियल एस्टेट ऑफ़ द इकॉनमी” नाम की रिपोर्ट तैयार की थी। इस सारगर्भित रिपोर्ट की प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लिखी थी। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के रिसर्च डिपार्टमेंट के चेयरमैन और राज्यसभा सांसद एमवी गौड़ा ने बताया कि इस रिपोर्ट को डॉ. मनमोहन सिंह और पी चिदंबरम ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश होने के एक दिन पहले जारी किया था।
एमवी गौड़ा ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रिपोर्ट पर संज्ञान लिया था और इसके आंकड़ों के जाँच की जिम्मेदारी वरिष्ठ अफसरों को सौंपी थी। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सरकार ने हमारी रिपोर्ट को गलत ठहराने का प्रयास किया लेकिन वह असफल रही। आज मोदी सरकार के झूठे दावों की हकीकत सबके सामने आ चुकी है। उन्होंने कहा कि पिछले 3 सालों से वह संसदीय मामलों पर नजर रख रहे थे। अब उनका अगला लक्ष्य भाजपा नेताओं के चुनावी आंकड़ों को वास्तविक आंकड़ों से मिलाना है ताकि देश की जनता के सामने सच सामने आ सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि हम पूरी रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। हमारे पास किसी भी मामले की तह तक जाने के लिए पर्याप्त समय है और हम सरकार की गलत नीतियों और खोखले दावों को जनता के सामने उजागर कर के रहेंगे।
युवाओं की फ़ौज है आप की रिसर्च टीम
मोदी सरकार की नीतियों का सच उजागर करने में लगी आम आदमी पार्टी की रिसर्च टीम युवाओं की फ़ौज है। इस टीम में 26 साल से कम उम्र के 30 युवा शामिल हैं। इस टीम में मुख्यतः इतिहास, राजनीती शास्त्र, गणित और इंजीनियरिंग ग्रेजुएट शामिल हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल की खामियों को उजागर करने के लिए ये सभी लोग पुख्ता तथ्य और आंकड़ें इकठ्ठा करते हैं। यह रिसर्च टीम विभिन्न विभागों में आरटीआई डालकर आंकड़ें इकठ्ठा कर रही है ताकि प्रमाणित जानकारी के आंकड़ें ही प्रयोग लिए जाएं। आरटीआई से मिली जानकारियों को भाजपा नेताओं और मंत्रियों के बयानों और दावों से मिलाकर इन्हे सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर और मणिशंकर अय्यर कई बार इन रिसर्च टीमों के डाटा बैंक का उपयोग अपने लेखों के दौरान करते हैं। कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता भी प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले डाटा बैंक की मदद लेते हैं। आगे यह दोनों पार्टियां राज्य स्तरीय रिसर्च टीम के गठन की तरफ बढ़ रही हैं। राजनीती के मैदान में भले दोनों ही दल परस्पर विरोधी हो लेकिन भाजपा के खिलाफ दोनों एकजुट होते जा रहे हैं। विपक्षी दलों की तैयारियों को देखते हुए भाजपा को भी अपना पक्ष मजबूत करना होगा और आगामी चुनौतियों के लिए खुद को तैयार रखना होगा।