भारतीय रेलवे विभाग ने मंगलवार को कहा, बिजली की खपत कम करने के उद्देश्य से भारतीय रेलवे ने मार्च 2018 तक सभी रेलवे स्टेशनों पर 100 फीसदी एलईडी लाइट लगाने की योजना बनाई है। इससे पहले रेलवे नें सौर उर्जा से चलने वाली रेलों की भी घोषणा की थी, जिसके जरिये डीजल के इस्तेमाल को रोका जा सकेगा।
रेल मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, सभी रेलवे कॉलोनियों और प्लेटफार्मों पर बिजली की जरूरतों को पूरा करने लिए 100 फीसदी एलईडी लाइट लगाने की दिशा में काम किया जा रहा है।
रेल मंत्रालय ने चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक यानि 31 मार्च 2018 तक सभी रेलवे स्टेशनों को 100 फीसदी एलईटी लाइट से युक्त करने का फैसला लिया है। इससे ना केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी बल्कि बिजली की कम खपत के साथ सभी रेलवे स्टेशन रोशनी से परिपूर्ण होंगे।
आप को जानकारी के लिए बता दें कि एलईडी लाइट से बिजली की खपत कम होती है, साथ ही परंपरागत बल्बों की तुलना में एलईडी लाइट ज्यादा दिनों तक चलती है। गौरतलब है कि नवंबर 2017 तक 3500 रेलवे स्टेशनों पर 100 फीसदी एलईडी लाइटें लगाई जा चुकी है, इन स्टेशनों पर अब तक 20 लाख एलईडी लाइटें लगाई जा चुकी हैं।
आप को बता दें कि एलईडी लाइटों से परंपरागत बल्बों के मुताबिक 10 फीसदी कम बिजली की खपत होती है। इस प्रकार हर साल 240 मिलियन यूनिट बिजली की बचत होगी, जिससे सरकार के सालाना 180 करोड़ रूपए बचेंगे।
जोनल रेलवे के निर्देशानुसार, विभाग के आवासीय क्वार्टरों में भी एलईडी लाइटें लगाई जाएंगी। आप को बता दें कि जोनल रेलवे ने सरकार की डीएलपी योजना के अनुसार अक्टूबर 2017 तक रेलवे कर्मचारियों को लगभग 20 लाख एलईडी लाइटें वितरीत किया था।
इंटर लॉकिंग प्रणाली शुरू
रेल मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस आधुनिक सॉलिड स्टेट इंटरलॉकिंग सिस्टम को बनाने में कुल 39 करोड़ रूपए का खर्च आया है। दरअसल इंटरलॉकिंग सिस्टम रेलवे का एक ऐसा सिग्नल उपकरण है, जो रूटों की पहचान कर ट्रेनों के विरोधाभासी आवागमन को रोकने में सहायता करता है। यही नहीं यह पैनल पर काम कर रहे स्टेशन मास्टर को इस बात की सूचना देगा कि किस रूट पर कौन सी ट्रेन आ रही है। इस व्यवस्था से रेलों के विनाशकारी टकराव से बचने में आसानी होगी।