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    भारत में कुल करोड़पति

    नियंत्रक और महालेखा परीक्षक कैग ने मंगलवार को कहा कि टाटा टेलीसर्विसेज, टेलिनॉर, वीडियोकॉन और रिलायंस जियो सहित पांच दूरसंचार कंपनियों ने 14,800 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व कम करके बताया है, इससे सरकारी राजस्व को 2,578 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

    संसद में पेश किए गए कैग रिपोर्ट के अनुसार सरकार को लाइसेंस शुल्क के रूप में 1,015.17 करोड़ रुपए, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क में 511.53 करोड़ रुपए और भुगतान में देरी पर 1,052.13 करोड़ रुपए ब्याज के रूप में भुगतान नहीं किया गया। इन नामित 5 दूरसंचार कंपनियों का नाम टाटा टेलीसर्विसेज, टेलीनॉर, वीडियोकॉन टेलीकॉम, कौड्रंट (एक वीडियोकॉन ग्रुप फर्म) और रिलायंस जियो है।

    किस कंपनी ने सरकार को दिया कम रेवेन्‍यु

    टाटा टेलीसर्विसेस ने 1,893.6 करोड़ रुपए, टेलीनॉर ने 603.75 करोड़ रुपए, वीडियोकॉन ने 48.08 करोड़, क्वाड्रंट ने 26.62 करोड़ रुपए और जियो ने लाइसेंस शुल्क, एसयूसी और लागू ब्याज शुल्क के रूप में 6.78 करोड़ रुपए कम भुगतान किया।

    कैग की ऑडिट रिपोर्ट

    कैग ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कहा कि टेलिकॉम सेक्टर की इन निजी कंपनियों ने वर्ष 2014-15 के दौरान समायोजित सकल राजस्व करीब 14,813.97 करोड़ रुपए कम करके दिखाया। इसके चलते सरकार को केवल 1,526.7 करोड़ रुपए की कमाई हो सकी। संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में कैग ने यह भी कहा कि मार्च 2016 की अवधि तक 1,052.13 करोड़ रुपए ब्याज कम चुकता किया गया।

    दूरसंचार कंपनियां

    कैग ने किन कंपनियों का किस साल किया ऑडिट

    कैग के मुताबिक 2010-11 से 2014-15 के बीच टाटा टेलीसर्विसेज और टाटा टेलीसर्विसेज (महाराष्ट्र) का ऑडिट किया गया। जबकि क्वाड्रंट टेलीवेन्टेचर का वर्ष 2006-07 से 2014-15 तक, वीडियोकॉन टेलीकॉम का 2009-10 से 2014-15 तक, टेलीनाॅर का 2009-10 से 2014-15 तक एवं रिलायंस जियो इन्फोकॉम का 2012-13 से 2014-15 तक का ऑडिट शामिल है।

    इन टेलिकॉम कंपनियों की स्थिति

    वीडियोकॉन टेलीकॉम, टेलिनॉर (टेलिविंग्स) और टाटा टेलीसर्विसेज ने अपना मोबाइल कारोबार भारती एयरटेल को बेच दिया है, जबकि क्वाड्रंट अपनी मोबाइल सेवाएं बंद कर चुकी है।

    दूर संचार कंपनियों ने ऐसे की चोरी

    कैग ने अपने आॅडिट में खुलासा किया कि इन पांचों दूरसंचार कंपनियों ने मुफ्त टॉकटाइम, डिस्काउंट ऑफर तथा निवेश पर ब्याज की आय सहित अन्य मुनाफे को अपने सकल राजस्व में नहीं दिखाया है। जब कि यह भी ग्रॉस रेवेन्यू का एक हिस्सा है। कैग ने कहा कि टाटा टेलीसर्विसेज ने कुल 1,026.01 करोड़ रुपए कम राजस्व दिखाया है।

    इसके अलावा यूनिटेक वायरलेस ने साल 2013-14 में 251.5 करोड़ रुपए का कारोबार टेलीनर्स के टेलीविंग कम्युनिकेशंस को सौंप दिया था, लेकिन कंपनी ने आॅडिट के दौरान इस बड़ी धनराशि को भी छुपा लिया।

    राजस्व वसूली को लेकर आयकर की आलोचना

    कैग की रिपोर्ट के अनुसार आयकर विभाग 2016-17 के दौरान सर्विस टैक्स में से केवल 9 फीसदी धनराशि ही वसूल कर पाया, जबकि साल 2016-17 के दौरान आयकर को 2658 करोड़ रूपए का एरियर वसूलना था। इस दौरान नया टैक्स देय बढ़कर करीब 6176 करोड़ रूपए हो गया। इस प्रकार आयकर विभाग को कुल 8834 करोड़ रूपए की राजस्व वसूली करनी थी, लेकिन वह एरियर में से केवल 783 करोड़ रूपए की राशि ही वसूल कर पाया।