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    लालू यादव और मायावती

    मायावती ने मंगलवार शाम को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया था। उनकी सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा के उपसभापति से बहस हो गयी थी जिसके बाद उन्होंने इस्तीफे की धमकी दी थी। उन्होंने कल शाम अपना तीन पन्नों का इस्तीफ़ा राज्यसभा में सौंपा। उन्होंने भाजपा पर दलितों की आवाज को दबाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वह राज्यसभा में दलितों का पक्ष रख रही थी लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया गया। भाजपा सरकार दिन-ब-दिन दबे-कुचले वर्ग के खिलाफ निरंकुश होती जा रही है और यह उन्हें किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं।

    फिलहाल मायावती इस्तीफ़ा मंजूर नहीं हुआ है क्यूँकि उनका इस्तीफ़ा तीन पन्नों का है जो नियमों के खिलाफ है। अगर उनका इस्तीफ़ा मंजूर हो गया तो उनके राज्यसभा में पुनः वापसी की राह मुश्किल नजर आ रही है। भाजपा ने इसे उनका हताशा में उठाया हुआ गलत कदम करार दिया है।

    लालू यादव ने दिया प्रस्ताव

    आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने मायावती के इस कदम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उनका समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मायावती वर्तमान परिदृश्य में देश की सबसे बड़ी दलित नेता है। वो राज्यसभा में दलितों का पक्ष रख रही थी जिससे उन्हें रोका गया। सरकार का असली चेहरा अब लोगों के सामने आ रहा है। सरकार एक तरफ दलित को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाती है वहीं दूसरी तरफ दलितों के हक़ की आवाज उठा रही दलित नेता को अपना पक्ष रखने से भी रोकती है। उन्होंने मायावती को बिहार से अपनी पार्टी के कोटे से राज्यसभा में भेजने की बात कही। उन्होंने कहा कि अगर मायावती राजी हो तो आरजेडी उन्हें अपने कोटे पर बिहार से राज्यसभा सांसद बनायेगी।

    बता दें कि मायावती की पार्टी बसपा उत्तर प्रदेश में हाशिये पर चल रही है। मायावती का राज्यसभा कार्यकाल अप्रैल, 2018 में ख़त्म हो रहा है और उनके पास दोबारा राज्यसभा में जाने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं है। उत्तर प्रदेश में पार्टी के 19 विधायक हैं और राज्य से 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को कोई सीट नहीं मिली थी। लालू यादव के इस बयान पर अभीतक मायावती ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।