मायावती के राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफे के बाद से ही उनके अगले कदम को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। जेडीयू सुप्रीमो लालू यादव द्वारा बिहार से उन्हें पार्टी कोटे से वापस राज्यसभा भेजने की पेशकश करने पर उन्होंने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। पार्टी के करीबी सूत्रों कि मानें तो वे उत्तर प्रदेश में रहकर पार्टी संगठन को मजबूत करने का कार्य कर सकती हैं। गौरतलब है कि हालिया विधानसभा चुनावों में बसपा पिछली बार के 80 सीटों के मुकाबले 19 सीटों पर ही सिमट गई थी। इसका मुख्य कारण पार्टी के कई बड़े नेताओं का भाजपा की ओर मिल जाना और दलित समाज में पार्टी का घटता जनाधार था।
ऐसे में पार्टी के वजूद को बचाने के लिए उनके फिर से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होने की अटकलें लगाई जा रही थी। बसपा के कुछ नेताओं ने तो यहाँ तक कह दिया था कि मायावती फूलपुर के संभावित उपचुनावों में विपक्ष के सम्मिलित उम्मीदवार के तौर पर अपना दावा ठोकेंगी। पर उनका यह कदम उनपर ही भारी पड़ता नजर आ रहा है। फूलपुर सीट पर भाजपा का कब्ज़ा है और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इस सीट से लोकसभा सांसद हैं। प्रदेश में चुनाव हुए 4 महीने हो चुके हैं और अपने पद पर बने रहने के लिए उन्हें लोकसभा सदस्यता से इस्तीफ़ा देकर आगामी दो महीनों में विधानसभा या विधानपरिषद का सदस्य बनना होगा। पर हालिया ख़बरों के मुताबिक़ मौर्य फूलपुर सीट से सांसद बने रहेंगे और भाजपा उन्हें केंद्र की राजनीति में लाने पर विचार कर रही है।
भाजपा की अग्रिम बचाव की रणनीति का हिस्सा है यह कदम
इस निर्णय से भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वो आगामी 2019 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर किसी भी तरह की ढ़िलाई नहीं बरतने वाली है। फूलपुर सीट खाली ना होने की स्थिति में उत्तर प्रदेश में उपचुनाव सिर्फ योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर में ही होंगे और इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ किसी भी दल के प्रत्याशी से जीत की उम्मीद करना बेईमानी होगी।
केंद्रीय मन्त्रिमण्डल में शामिल होंगे मौर्य
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश मन्त्रिमण्डल से अपना पद त्यागने की स्थिति में केंद्रीय मन्त्रिमण्डल में शामिल हो सकते है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के उपमुख्यमंत्री का पद छोड़ना उनके लिए घाटे की बात होती मगर वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनने के बाद उन्हें केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद है। मौर्य को अमित शाह और मोदी का करीबी माना जाता है और उत्तर प्रदेश के हालिया विधानसभा चुनावों में वह भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की भूमिका में थे। ऐसे में उनको बड़ी जिम्मेदारी मिलने कि उम्मीद बढ़ जाती है।