बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी बात रखते वक़्त टोके जाने के विरोध में मंगलवार, 18 जुलाई को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया था। राज्यसभा ने उनसे एकबार पुनः विचार करने का अनुरोध किया था। उनके निर्णय पर विचार ना करने की सूरत में उनका इस्तीफ़ा मंजूर कर लिया है। अब इस बात को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है कि मायावती का अगला कदम क्या होगा।
गौरतलब है कि मानसून सत्र के पहले दिन मायावती ने राज्यसभा में सहारनपुर में दलितों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाया था। उपसभापति पीजे कुरियन ने उन्हें 3 मिनट का समय दिया था और उसके बाद रोकने पर वह भड़क गईं थी। इसी बिंदु को आधार बनाकर उन्होंने मंगलवार शाम को अपना इस्तीफ़ा सौंपा था। अपने तीन पन्नों के इस्तीफे में उन्होंने अपनी बात रखने से रोकने की घटना का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि अगर वो सदन में अपनी बात नहीं रख सकती फिर उनके यहाँ रहने से क्या फायदा है।
इससे पहले तीन पन्नों का होने की वजह से उनका इस्तीफ़ा अस्वीकार कर दिया गया था। पर मायावती के अपने रुख से ना पलटने पर इसे स्वीकार कर लिया गया। उनके अगले कदम पर सबकी नजरें टिकी हैं।
लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव
उत्तर प्रदेश की फूलपुर सीट पर लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। यहाँ से सांसद केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं और उन्हें तीन महीने के अंदर विधानसभा या विधानपरिषद की सदस्य्ता ग्रहण करनी होगी। इस सूरत में इस सीट पर उपचुनाव होने तय हैं। यह सीट बसपा के लिए काफी मायने रखती है और यहाँ से बसपा संस्थापक कांशीराम ने 1996 में चुनाव लड़ा था। उन्हें सपा के जंग बहादुर पटेल हाथों 16 हजार से अधिक मतों से शिकस्त खानी पड़ी थी। इस सीट पर दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़े तबके का जनाधार है और वर्तमान हालातों में वो एक मजबूत दावेदार बन सकती हैं।
इस तरह की किसी भी सम्भावना पर सपा और कांग्रेस उनके साथ आ सकते हैं। यह 2019 के चुनावों के मद्देनजर केंद्र में महागठबंधन की नींव डालने वाला कदम हो सकता है। जातीय वोटों का समीकरण और विपक्षी पार्टियों का साथ उनके इस कदम को और मजबूत बनाते हैं और ये प्रदेश की राजनीति में हाशिये पर जा चुकी बसपा के वापसी की शुरुआत हो सकती है।
लालू दे चुके है राज्यसभा सदस्यता का प्रस्ताव
मायावती के इस्तीफे के बाद पहली प्रतिक्रिया लालू यादव ने दी थी। उन्होंने मायावती के कदम का समर्थन करते हुए उन्हें अपनी पार्टी के कोटे से राज्यसभा सदस्यता का प्रस्ताव दिया था। इस तरह मायावती ने “सेफ गेम” खेला है। दोनों ही सूरतों में उनकी संसद सदस्यता तय है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मायावती क्या कदम उठाती हैंऔर किसका साथ चुनती हैं।