मानव पूँजी के तहत जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत को सुरक्षा और स्वास्थय में निवेश के लिहाज से 158 वें पायदन पर खड़ा किया गया है। हिंदुस्तान सूडान (157 वीं) राष्ट्र से एक कदम पीछे और नामीबिया (158 वीं) से एक कदम आगे है।
इस सूची में अमेरिका 27 वें और चीन 44 वें पायदान पर काबिज है। पाकिस्तान ने 164 वां स्थान हासिल किया है।
दक्षिण एशिया के क्षेत्र में बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान का स्वास्थय और सुरक्षा में निवेश निम्न दर्जे के है जबकि नेपाल, श्रीलंका, भूटान और मालदीव की स्थिति भारत के मुकाबले कई बेहतर है।
द लान्सेंट रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत साल 2016 में 195 देशों कि सूची में से 158 वें स्थान पर आया था। साल 1990 भारत की स्थिति में सुधार आया था। इस रिपोर्ट में बताया गया कि स्वास्थय और सुरक्षा के लिहाज से भारत लगातार पिछड़ता जा रहा है। जो भारत की अर्थव्यवस्था को लम्बे अंतराल के लिए सदमा दे सकते हैं।
विश्व बैंक के आग्रह पर इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन ने इस पर अध्ययन किया था। पहली बार मानव पूँजी के आधार पर किसी देश की ताक़त का आंकलन किया गया है। इस अध्ययन के मुताबिक जिस देश की मानव पूँजी बढ़ती है उस देश की अर्थव्यवस्था मज़बूत होती है।
इस अध्य्यन में फ़िनलैंड को प्रथम पायदान से नवाज़ा गया है। तुर्की में साल 1990 से 2015 तक मानव पूँजी के लिहाज से काफी विचित्र परिवर्तन आये हैं।
एशियाई देशों में चीन, थाईलैंड, सिंगापुर, वियतनाम में सुधार हुआ है। साथ ही इन्ही सभी देशों की तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है।