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    आनंदपाल

    राज्य मानवाधिकार आयोग ने राजस्थान सरकार को कहा है कि आने वाले 24 घंटों के भीतर आनंदपाल का अंतिम संस्कार कराये। उसने यह भी कहा है कि अगर परिवार वाले अंतिम संस्कार करने से इंकार करते है तो सरकार खुद आगे आकर जिम्मेदारी निभाए। दिए गए नोटिस के बावजूद परिवार ने अंतिम संस्कार नहीं किया है ऐसे में राज्य सरकार का ये फ़र्ज़ बनता है कि वो आगे आकर जिम्मेदारी निभाए। आदेश की कॉपी मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव को भेजकर आयोग ने 20 जुलाई तक पालना रिपोर्ट देने को कहा है। आयोग के अध्यक्ष प्रकाश टाटिया ने यह आदेश जारी किया है।

    तर्कसंगत है आदेश

    आयोग का कहना है कि मानव शरीर बाजार में बिकने की वस्तु नहीं है। मृत शरीर को अंतिम क्रिया से इतर और किसी भी कार्य के लिए नहीं रखा जा सकता।

    जिस तरह जीवित व्यक्ति को बंदी बनाकर रखना मानवता का हनन है उसी प्रकार एक मृत शरीर को कब्जे में रखकर उसका अंतिम संस्कार ना करना भी मानव धर्म नहीं है।

    यह कानूनन भी गलत है जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले ही नोटिस दे चुकी है। एनकाउंटर के बाद ही आनंदपाल के शरीर से चमड़ी उतरने लगी थी और दुर्गंध भी आ रही थी। शवों को सुरक्षित रखने की प्रशीतन प्रणाली भी कोई जीवनदायी प्रणाली नहीं है। यह केवल विघटन की दर को घटाती है।

    पहली दफा नहीं है यह

    यह पहली बार नहीं है जब मानवाधिकार आयोग ने सरकार को नोटिस भेजा है। इससे पहले भी वह मौताणे को लेकर राज्य सरकार को तलब कर चुकी है। आयोग ने अंतिम संस्कार नहीं करने के मामलों पर सरकारी नीति के बारे में राज्य के गृह विभाग से भी सवाल पूछे थे।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।