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    नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव

    बिहार की राजनीति हमेशा से सुर्ख़ियों में रही है कभी नीतीश कुमार के विकासशील इरादों की वजह से तो कभी लालू यादव पर लगे घोटालों के आरोपों की वजह से। इन दो विरोधियों को एकजुट किया सत्ता के लोभ और मोदी की लहर ने। अब ये चाहे जिस अंजाम की तरफ बढ़ रहे हो पर इनका आगाज शानदार रहा था। जातीय राजनीति और अपार जनसमर्थन ने इन्हें पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का अवसर दिया और इन्होंने उसे बखूबी निभाया। नीतीश कुमार के कुशल नेतृत्व में महागठबंधन की नींव पड़ी थी और उन्हें ही मुख्यमंत्री चुना गया।

    लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया। उनके शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया। उनकी काबिलियत पर सवाल उठाये गए और उनकी शिक्षा का हवाला दिया गया। तेजस्वी यादव ने अपने पिता के अंदाज में कहा कि राजनीति करने के लिए पढाई की जरुरत नहीं होती। लोगों ने उनका यकीन किया और वो आत्ममुग्धता में वही गलती कर बैठे जो कुछ वर्षों पहले उनके पिता ने की थी। आज आलम यह है की उनका राजनीतिक करियर शुरू होने से पहले ही समाप्ति की कगार पर पहुंच चुका है।

    उनकी दी गयी तमाम सफाईयों का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कोई असर होता नहीं दिखाई नहीं दे रहा है। विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मांग तेज कर दी है। नीतीश कुमार पर भी दबाव है कि वो इस समस्या का जल्द से जल्द कोई समाधान निकालें। अपने पिछले कार्यकाल में एक आरोप लगने पर नीतीश ने पद से इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। अगर वो आगे भी अपनी ईमानदार छवि को बनाये रखना चाहते हैं तो उन्हें कुछ कठोर कदम उठाने होंगे। वही तेजस्वी यादव ने इस्तीफे की मांगों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है।

    आरोप

    सीबीआई की टीम ने विगत दिनों लालू यादव के 12 ठिकानों पर छापेमारी कर रेलवे टेंडर घोटाले का पर्दाफाश किया था। लालू यादव पर आरोप है कि उन्होंने टेंडर देने के एवज में ३ एकड़ जमीन ली है। उस जमीन के मालिकों में एक नाम तेजस्वी यादव का भी है। यह सारे टेंडर वर्ष 2004-2009 के दौरान दिए गए थे जब कांग्रेस कि सरकार में लालू यादव रेल मंत्री थे। आरोपों को नकारते हुए तेजस्वी यादव ने कहा है कि उस समय उनकी उम्र महज 14 साल थी और उस उम्र में कोई घोटाला कैसे कर सकता है।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।