मलेशिया के मुस्लिमों ने कुआला लुम्पुर में संजातीय समूह मलय को उनके अधिकारों से वंचित रखने के खिलाफ रैली निकाली थी। मई में मलेशिया के प्रधानमन्त्री महातिर मोहम्मद ने सत्ता पर आसीन हुए थे। महातिर मोहम्मद के देश की कमान सँभालने के बाद यह पहला विशाल स्तर का प्रदर्शन है।
मलेशिया की पुलिस के मुताबिक 55 हज़ार लोगों ने कुआला लुम्पुर में प्रदर्शन किया और ‘गॉड इज ग्रेट’ व ‘लोंग लाइव द मलायास’ के नारे लगाये थे। इस रैली के दौरान सड़कों पर पुलिस बल तैनात था और इसके लिए इलाके की प्रमुख सड़क मार्गों क बंद कर दिया था।
मलेशिया में जाति और धर्म के संवेदनशील मुद्दा है, वहां संजातीय मुस्लिम और भारतीय समुदाय भी है जिसके कारण बहुसंख्यक मलय मुस्लिमों में असुरक्षा का भाव पनप रहा है। मलेशिया की नई सरकार अल्पसंख्यकों की तरफ अधिक झुकाव दिखा रही है।
इस रैली का मकसद यूएन सम्मेलन में सरकार की जातीय भेदभाव को हटाने की पुष्टि के कारण था। इस रैली को विपक्षी मलय और अन्य राजनेताओं से समर्थन मिल रहा था, बहुसंख्यक मुस्लिमों को डर है कि इस समझौते से उनके विशेषाधिकार समाप्त हो जायेगे। इस प्रदर्शन के कारण सरकार ने इस फैसले को फिलहाल टाल दिया है।
विपक्षी नेता अहमद जाहिद हामिद ने कहा कि अगर इस्लाम अशांत होगा, अगर हमारे अधिकार छीने जायेंगे तो हम उठेंगे। रैली के प्रदर्शकारी आरिफ हाशिम ने कहा कि अन्य जातियों को मलय के अधिकारों को चुनौती नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिम होने के नाते मलेशिया में इस्लाम का प्राथमिक दर्जा चाहता हूं।
पुलिस के मुताबिक एकजुट प्रदर्शकारी शांतिपूर्ण तरीके से रैली कर रहे थे और दोपहर में भीड़ तितर बितर हो गयी थी। मलय मलेशिया की 60 फीसदी हिस्सेदारी रखती है, 320 लाख लोग मलय है। दशकों से मलय जाती मलेशिया में सुख सुविधाएं भोग रही है, सरकार नौकरियों और आर्थिक हालातों में उन्हें कई फायदा हो रहा है।
आलोचकों के मुताबिक प्रशासन में भ्रष्ट अमीरों ने कब्ज़ा जमा रखा है और इसमें सुधार की जरुरत है। हालांकि अभी महातिर मोहम्मद के इस क्षेत्र परिवर्तन के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।