सोमवार के दिन, महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक चेतावनी दायर की जिसके तहत मराठा समुदाय को दिए आरक्षण से जुड़ी अगर कोई याचना राज्य में ली गयी तो पहले उनकी चेतावनी सुनी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में ये चेतावनी, प्रतिवादी के द्वारा ये सुनिश्चित करने के लिए दायर की गयी कि इसे सुने बिना, पार्टी के खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश ना दिया जाये।
चेतावनी दायर करने वाले वकील निशांत कत्नेस्वरकर ने कहा-“इस मामले में बिना महाराष्ट्र सरकार को खबर दिए कोई आदेश नहीं दिया जाएगा। प्रतिवादी(महाराष्ट्र सरकार) ही वे अधिकृत पार्टी है जिसने 30 नवम्बर, 2018 को ‘महाराष्ट्र एक्ट’ जारी किया था।
29 नवम्बर के दिन, महाराष्ट्र विधान मंडल ने एक बिल पारित किया जिसके अनुसार मराठियों के लिए ‘शिक्षात्मक और सरकारी नौकरी’ से जुड़े छेत्रो में 16% का आरक्षण रखा गया था।
ये आरक्षण राज्य में मौजूद 52% आरक्षण के अलावा रखा गया है। इस बिल के पारित होने की वजह से अब राज्य में आरक्षण 68% तक बढ़ जाएगा। जो मराठी, ‘सामाजिक और शिक्षात्मक छेत्रो’ के पिछड़े वर्ग में आते हैं, वे इस आरक्षण के योग्य होंगे।