महाराष्ट्र में इन दिनों दंगे जैसे हालत बन गए है। मराठो द्वारा की जा रही आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में आए दिन तोड़फोड़ एवं हिंसा हो रही है।
कभी कोई रैली या कभी कोई सड़क प्रदर्शन अपनी मांग को लेकर मराठा क्रांति मोर्चा अब कि बार कुछ ज़्यादा ही आक्रामक लग रहा है।
हाल ही में इस आंदोलन को लेकर औरंगाबाद में एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद इस आंदोलन ने आग पकड़ ली।
शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे मराठो को सरकार ने उनकी मांग पर विचार करने की हिदायत दी है।
महाराष्ट्र के मुख्य मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, “हमारी सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए कानून बनाया था लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। हमें लगता है कि यह एक विशेष केस है और पिछड़ा आयोग की सलाह पर आरक्षण दिया जा सकता है। दुर्भाग्यवश आयोग के पहले मुखिया की मृत्यु हो गई और दूसरे अध्यक्ष की नियुक्ति में काफी वक्त लग गया।’
परन्तु एक तरीके से देखा जाए तो मराठा आरक्षण सरकार के लिए एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति में है। महाराष्ट्र में मराठा आबादी राज्य की कुल आबादी का 33 प्रतिशत है और वे अपने लिए सरकारी नौकरी में 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
परन्तु दिक्कत यह है कि अगर मराठो को आरक्षण दिया तो आरक्षण तय सीमा से बढ़ जायेगा जो किसी भी हालात में संभव नहीं है। और अगर इन्हे पिछड़े वर्ग में शामिल किया तो तो ओबीसी की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।
इस आंदोलन का सबसे चिंतनीय पहलू इसका हिंसक होना है। 9 अगस्त को राज्य में आरक्षण को लेकर एक विशाल रैली का योजन होने वाला है जिससे सरकार सकपका गई है। देवेंद्र फडणवीस सरकार इन दिनों भंवर में फस रखी है जिससे निकल पाना बहुत ही मुश्किल लग रहा है।