देश की संसद ने नागरिकता संशोधन कानून को पारित कर दिया है। इस कानून को लेकर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की अलग-अलग राय है। मध्य प्रदेश सरकार ने इसे लागू नहीं करने का इशारा किया है, जिसके बाद राज्य सरकार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लामबंद हो गई है और उसने सड़क पर उतरने और जनजागरण अभियान चलाने का ऐलान कर दिया है। संसद द्वारा पारित कानून को राज्य में लागू न किए जाने के मुख्यमंत्री कमलनाथ के ऐलान के विरोध में भाजपा राज्यपाल को 17 दिसंबर को ज्ञापन सौंपकर इस कानून को प्रदेश में तुरंत लागू किए जाने की मांग करेगी।
भाजपा की ओर से जारी बयान के अनुसार, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान एवं नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के नेतृत्व में पार्टी के सभी विधायक, पदाधिकारी, भोपाल के जिला अध्यक्ष, प्रमुख कार्यकर्ता एवं नेतागण दोपहर रोशनपुरा चौराहे से पैदल मार्च करते हुए राजभवन पहुंचेंगे।
भाजपा के अनुसार, राजभवन में नेतागण नागरिकता संशोधन कानून प्रदेश में लागू नहीं किए जाने के विरोध में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर इसे तत्काल लागू किए जाने की मांग करेंगे।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के पारित होने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्र सरकार द्वारा इतने महत्वपूर्ण विषय पर कानून बनाने से पहले राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक नहीं बुलाना दुर्भाग्यपूर्ण था। उन्होंने कहा था कि इतने महत्वपूर्ण विषय पर कानून बनाने के पहले मुख्यमंत्रियों को बुलाकर चर्चा तक नहीं की गई।
उन्होंने राज्य में काूनन न लागू करने की ओर इशारा करते हुए कहा था, “कांग्रेस पार्टी का शुरू से ही मानना है कि देश की संस्कृति व समाज को बांटने वाले व संविधान की मूल भावना के विपरीत किसी भी निर्णय को कांग्रेस पार्टी स्वीकार नहीं करेंगी। सीएए पर जो कांग्रेस पार्टी का स्टैंड होगा वही स्टैंड मध्यप्रदेश में भी हमारा होगा।”
एक तरफ जहां राज्य सरकार के खिलाफ भाजपा राज्यपाल लालजी टंडन को ज्ञापन देने वाली है, वहीं दूसरी ओर पार्टी इस बाबत जनजागरण अभियान चलाएगी। कार्यक्रम के समन्वयक पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष, विधायक रामेश्वर शर्मा ने बताया कि “नागरिकता संशोधन कानून मोदी सरकार का ऐतिहासिक फैसला है। इससे वर्षो से शरणार्थी रहे पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्घ और पारसियों को नागरिकता मिल सकेगी और वे अपना जीवनयापन सम्मानजनक तरीके से कर सकेंगे।”
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने पड़ोसी देशों के इन अल्पसंख्यकों को सम्मान और सुरक्षा देने का काम किया है, लेकिन कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून पर दुष्प्रचार कर जनता को भ्रमित कर रही है।”
शर्मा ने बताया कि “जनता तक कानून की वास्तविकता पहुंचे और कांग्रेस के मंसूबे पूरे न हो इसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने वृहत स्तर पर जनजागरण अभियान प्रारंभ किया है। इस अभियान के तहत सभी सांसद अपने-अपने लोकसभा क्षेत्रों में शरणार्थियों से संपर्क कर उनका सम्मेलन कर संसद में पारित हुए विधेयक की जानकारी देंगे।”
एक तरफ राजनीतिक बयानबाजी जारी है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न संगठन इस कानून का समर्थन और विरोध कर रहे हैं। जमात इस्लामी हिंद के बैनर तले महिलाओं ने भोपाल में प्रदर्शन किया। इस संगठन से जुड़ी सवा खान का कहना है कि, इस कानून से महिलाओं का शोषण और बढ़ जाएगा। इससे पहले भी संगठनों ने विरोध में प्रदर्शन किया था।
मध्यप्रदेश लोकतांत्रिक अधिकार मंच के बैनर तले बुद्घिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भोपाल में बुधवारा चौराहे पर प्रदर्शन किया। इस मौके पर कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद ने तो राज्य में कानून लागू होने पर विधायक पद से इस्तीफा देने तक का ऐलान कर दिया था।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई और विधायक लक्ष्मण सिंह ने इस कानून का अपने ही तरह से समर्थन करते हुए ट्वीट किया था। उन्होंने कहा था, “राष्ट्रीय नागरिकता कानून संसद में पारित हो चुका है, सभी दलों ने अपने विचार व्यक्त कर दिए हैं। इस विषय पर ज्यादा टिप्पणी, बयान, व्यर्थ हैं। इसे स्वीकार करो और आगे बढ़ों।”