मध्य प्रदेश विधासभा चुनावों में इसी महीने 28 तारीख को वोट डाले जाएंगे लेकिन लगता है कांग्रेस ने चुनावों में भाजपा से लड़ने की बजाये आपस में ही लड़ने का फैसला किया है।
गुरुवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस की अंदुरुनी लड़ाई खुल कर बाहर आ गई। दरअसल मध्य प्रदेश में टिकट बंटवारे के लिए आयोजित केंद्रीय चुनाव समिति की मीटिंग में अपने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए मध्य प्रदेश कांग्रेस के चुनाव प्रचार के प्रमुख ज्योतिरादित्य सिंधिया और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह में तगड़ी बहस हो गई।
सबसे दिलचस्प बात ये रही कि ये बहस कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने ही हुई।
मध्य प्रदेश में पार्टी की अंदुरुनी लड़ाई को थामने के लिए ही कांग्रेस ने किसी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया है। इस लड़ाई से साफ़ हो गया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस एक या दो नहीं बल्कि कई गुटों में बंटी हुई है।
इस आपसी लड़ाई से राहुल गांधी काफी नाराज बताये जाते हैं।
सिंधिया से लड़ाई की बात मिडिया में आते ही दिग्विजय सिंह इस बात को सिरे से नकार दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मिडिया में उनकी और सिंधिया की लड़ाई की बात गलत चल रही है। पूरी कांग्रेस भाजपा के भ्रष्ट शासन को उखाड़ फेंकने के लिए एकजुट है।
It is being wrongly reported in press that I and Jyotiraditya Scindhia ji had any arguement and Rahul ji had to intervene. All of us in MP Congress are one and determined to defeat the corrupt BJP Govt in MP.
— digvijaya singh (@digvijaya_28) November 1, 2018
इससे पहले सिंधिया और सिंह में बहस के बाद राहुल गाँधी ने टिकट बंटवारे के विवाद को सुलझाने के लिए अशोक गहलोत, वीरप्पा मोइली और अहमद पटेल के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय कमिटी का गठन किया।
राहुल गांधी के सामने ही कोंग्रेसी नेताओं के बहस की बात सामने आते ही भाजपा ने इस मुद्दे को लपक लिया। भाजपा ने कहा कि अध्यक्ष के सामने ही पार्टी के दो नेताओं में हाथापाई की नौबत आ गई। इससे पता चलता है कि कांग्रेस अध्यक्ष की पार्टी पर कोई पकड़ नहीं है। भाजपा ने इस लड़ाई के बाद राहुल गाँधी के नेतृत्व पर ही सवाल उठा दिए।